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*श्वेतकेतु की कथा उपनिषद् में मूलत: आती है। ये [[उद्दालक]] के पुत्र थे।  
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*श्वेतकेतु की कथा उपनिषद में मूलत: आती है। ये [[उद्दालक]] के पुत्र थे।  
 
*एक बार अतिथिसत्कार में उद्दालक ने अपनी पत्नी को भी अर्पित कर दिया। इस दूषित प्रथा का विरोध श्वेतकेतु ने किया।  
 
*एक बार अतिथिसत्कार में उद्दालक ने अपनी पत्नी को भी अर्पित कर दिया। इस दूषित प्रथा का विरोध श्वेतकेतु ने किया।  
 
*वास्तव में कुछ पर्वतीय आरण्यक लोगों में आदिम जीवन के कुछ अवशेष कहीं-कहीं अब भी चले आ रहे थे, जिनके अनुसार स्त्रियाँ अपने पति के अतिरिक्त अन्य पुरूषों के साथ भी सम्बन्ध कर सकती थीं। इस प्रथा को श्वेतकेतु ने बन्द कराया। <ref>[[महाभारत]] (1.122.9-20)</ref> में इसका उल्लेख है।
 
*वास्तव में कुछ पर्वतीय आरण्यक लोगों में आदिम जीवन के कुछ अवशेष कहीं-कहीं अब भी चले आ रहे थे, जिनके अनुसार स्त्रियाँ अपने पति के अतिरिक्त अन्य पुरूषों के साथ भी सम्बन्ध कर सकती थीं। इस प्रथा को श्वेतकेतु ने बन्द कराया। <ref>[[महाभारत]] (1.122.9-20)</ref> में इसका उल्लेख है।

11:29, 17 जनवरी 2011 का अवतरण

  • श्वेतकेतु की कथा उपनिषद में मूलत: आती है। ये उद्दालक के पुत्र थे।
  • एक बार अतिथिसत्कार में उद्दालक ने अपनी पत्नी को भी अर्पित कर दिया। इस दूषित प्रथा का विरोध श्वेतकेतु ने किया।
  • वास्तव में कुछ पर्वतीय आरण्यक लोगों में आदिम जीवन के कुछ अवशेष कहीं-कहीं अब भी चले आ रहे थे, जिनके अनुसार स्त्रियाँ अपने पति के अतिरिक्त अन्य पुरूषों के साथ भी सम्बन्ध कर सकती थीं। इस प्रथा को श्वेतकेतु ने बन्द कराया। [1] में इसका उल्लेख है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत (1.122.9-20)