"महाभारत सामान्य ज्ञान 2" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
-[[जानकी]]
 
-[[जानकी]]
 
-[[सुभद्रा]]
 
-[[सुभद्रा]]
||मद्रदेश (आधुनिक [[पंजाब]]) के राजा ॠतायन की पुत्री और [[शल्य]] की बहिन, जो [[पांडव]] [[नकुल]] और [[सहदेव]] की माता थी। बहुत-सा धन देकर इस सुन्दरी को [[भीष्म]] [[पाण्डु]] के लिये मांग लाये थे। इसने बाद में [[कुन्ती]] को प्राप्त [[दुर्वासा]] के मन्त्र का उपयोग करके [[अश्विनीकुमार|अश्विनी कुमारों]] से नकुल और सहदेव नामक सुन्दर पुत्र प्राप्त किये थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[माद्री]]
+
||मद्रदेश (आधुनिक [[पंजाब]]) के राजा ॠतायन की पुत्री और [[शल्य]] की बहिन, जो [[पांडव]] [[नकुल]] और [[सहदेव]] की माता थी। बहुत-सा धन देकर इस सुन्दरी को [[भीष्म]] [[पाण्डु]] के लिये मांग लाये थे। इसने बाद में [[कुन्ती]] को प्राप्त [[दुर्वासा]] के मन्त्र का उपयोग करके [[अश्विनीकुमार|अश्विनी कुमारों]] से नकुल और सहदेव नामक सुन्दर पुत्र प्राप्त किये थे। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[माद्री]]
  
 
{[[अर्जुन]] ने [[जयद्रथ]] को कब तक मार देने की प्रतिज्ञा की थी?
 
{[[अर्जुन]] ने [[जयद्रथ]] को कब तक मार देने की प्रतिज्ञा की थी?
पंक्ति 23: पंक्ति 23:
 
-सांयकाल से पहले
 
-सांयकाल से पहले
 
-प्रातकाल से पहले
 
-प्रातकाल से पहले
 +
|| [[चित्र:Jaydrath-vadh.jpg|right|100px|जयद्रथ वध]] [[अभिमन्यु]] की मृत्यु का समाचार सुनकर [[अर्जुन]] क्रोध से पागल हो उठा। उसने प्रतिज्ञा की कि यदि अगले दिन सूर्यास्त से पहले उसने जयद्रथ का वध नहीं किया तो वह आत्मदाह कर लेगा। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयद्रथ]]
  
 
{[[कर्ण]] को अमोघ शक्ति प्रदान की थी-
 
{[[कर्ण]] को अमोघ शक्ति प्रदान की थी-
पंक्ति 46: पंक्ति 47:
 
+भीमसात्वत
 
+भीमसात्वत
  
{[[पाण्डव|पाण्डवों]] की ओर से लड़ने वाला [[कौरव]] था-
+
{[[पाण्डव|पाण्डवों]] की ओर से लड़ने वाला [[कौरव]] था?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
+युयुत्स
 
+युयुत्स
पंक्ति 96: पंक्ति 97:
 
-[[कृष्ण]]
 
-[[कृष्ण]]
 
+[[अर्जुन]]
 
+[[अर्जुन]]
||[[अर्जुन]] महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो, कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था, जिससे कुंती किसी भी [[देवता]] का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थीं। पाण्डु एवं कुंती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं [[धर्मराज (यमराज)|धर्मराज]], [[वायु देव|वायु]] एवं [[इन्द्र]] देवता का आवाहन किया। अर्जुन तीसरे पुत्र थे, जो देवताओं के राजा इन्द्र से हुए।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अर्जुन]]  
+
||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|100px|कृष्ण और अर्जुन]] [[अर्जुन]] महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो, कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था, जिससे कुंती किसी भी [[देवता]] का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थीं। पाण्डु एवं कुंती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं [[धर्मराज (यमराज)|धर्मराज]], [[वायु देव|वायु]] एवं [[इन्द्र]] देवता का आवाहन किया। अर्जुन तीसरे पुत्र थे, जो देवताओं के राजा इन्द्र से हुए।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अर्जुन]]  
  
 
{[[भीष्म]] कितनी सेना समाप्त करके [[जल]] गृहण करते थे?
 
{[[भीष्म]] कितनी सेना समाप्त करके [[जल]] गृहण करते थे?
पंक्ति 111: पंक्ति 112:
 
-[[जयद्रथ]]  
 
-[[जयद्रथ]]  
 
-[[विदुर]]
 
-[[विदुर]]
||महर्षि [[भारद्वाज]] का वीर्य किसी द्रोणी (यज्ञकलश अथवा पर्वत की गुफ़ा) में स्खलित होने से जिस पुत्र का जन्म हुआ, उसे द्रोण कहा गया। ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि, भारद्वाज ने [[गंगा]] में स्नान करती घृताची को देखा, आसक्त होने के कारण जो वीर्य स्खलन हुआ, उसे उन्होंने द्रोण (यज्ञकलश) में रख दिया। उससे उत्पन्न बालक द्रोण कहलाया। [[द्रोणाचार्य]] भारद्वाज मुनि के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[द्रोणाचार्य]]
+
|| [[चित्र:Dronacharya.jpg|right|100px|द्रोणाचार्य]] महर्षि [[भारद्वाज]] का वीर्य किसी द्रोणी (यज्ञकलश अथवा पर्वत की गुफ़ा) में स्खलित होने से जिस पुत्र का जन्म हुआ, उसे द्रोण कहा गया। ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि, भारद्वाज ने [[गंगा]] में स्नान करती घृताची को देखा, आसक्त होने के कारण जो वीर्य स्खलन हुआ, उसे उन्होंने द्रोण (यज्ञकलश) में रख दिया। उससे उत्पन्न बालक द्रोण कहलाया। [[द्रोणाचार्य]] भारद्वाज मुनि के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[द्रोणाचार्य]]
  
 
{[[महाभारत]] का युद्ध कहाँ हुआ था?
 
{[[महाभारत]] का युद्ध कहाँ हुआ था?
पंक्ति 127: पंक्ति 128:
 
-[[अंग महाजनपद|अंग]]
 
-[[अंग महाजनपद|अंग]]
 
+[[गांधार महाजनपद|गांधार]]  
 
+[[गांधार महाजनपद|गांधार]]  
||पौराणिक [[सोलह महाजनपद|16 महाजनपदों]] में से एक। [[पाकिस्तान]] का पश्चिमी तथा [[अफ़ग़ानिस्तान]] का पूर्वी क्षेत्र। इसे आधुनिक [[कंधार]] से जोड़ने की ग़लती कई बार लोग कर देते हैं, जो कि वास्तव में इस क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था। इस प्रदेश का मुख्य केन्द्र आधुनिक [[पेशावर]] और आसपास के इलाके थे। इस [[महाजनपद]] के प्रमुख नगर थे - पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर) तथा [[तक्षशिला]] इसकी राजधानी थी। इसका अस्तित्व 600 ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक रहा। [[कुषाण]] शासकों के दौरान यहाँ [[बौद्ध धर्म]] बहुत फला फूला पर बाद में मुस्लिम आक्रमण के कारण इसका पतन हो गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गांधार महाजनपद]]
+
|| [[चित्र:Gandhar-Map.jpg|right|100px|गांधार महाजनपद]] पौराणिक [[सोलह महाजनपद|16 महाजनपदों]] में से एक। [[पाकिस्तान]] का पश्चिमी तथा [[अफ़ग़ानिस्तान]] का पूर्वी क्षेत्र। इसे आधुनिक [[कंधार]] से जोड़ने की ग़लती कई बार लोग कर देते हैं, जो कि वास्तव में इस क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था। इस प्रदेश का मुख्य केन्द्र आधुनिक [[पेशावर]] और आसपास के इलाके थे। इस [[महाजनपद]] के प्रमुख नगर थे - पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर) तथा [[तक्षशिला]] इसकी राजधानी थी। इसका अस्तित्व 600 ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक रहा। [[कुषाण]] शासकों के दौरान यहाँ [[बौद्ध धर्म]] बहुत फला फूला पर बाद में मुस्लिम आक्रमण के कारण इसका पतन हो गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गांधार महाजनपद]]
  
 
{[[अर्जुन]] ने [[द्रोणाचार्य]] के जिस मित्र को परास्त किया, उसका नाम था?
 
{[[अर्जुन]] ने [[द्रोणाचार्य]] के जिस मित्र को परास्त किया, उसका नाम था?
पंक्ति 151: पंक्ति 152:
 
+[[वेदव्यास|व्यास]]
 
+[[वेदव्यास|व्यास]]
 
-[[भीष्म]]
 
-[[भीष्म]]
||[[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। व्यास जी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] ऋषि तथा माता का नाम [[सत्यवती]] था। जन्म लेते ही इन्होंने अपने पिता-माता से जंगल में जाकर तपस्या करने की इच्छा प्रकट की। प्रारम्भ में इनकी माता सत्यवती ने इन्हें रोकने का प्रयास किया, किन्तु अन्त में इनके माता के स्मरण करते ही लौट आने का वचन देने पर उन्होंने इनको वन जाने की आज्ञा दे दी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[वेदव्यास|व्यास]]
+
|| [[चित्र:Vyasadeva-Sanjaya-Krishna.jpg|right|100px|संजय को दिव्यदृष्टि प्रदान करते हुये वेदव्यास जी]] [[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। व्यास जी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] ऋषि तथा माता का नाम [[सत्यवती]] था। जन्म लेते ही इन्होंने अपने पिता-माता से जंगल में जाकर तपस्या करने की इच्छा प्रकट की। प्रारम्भ में इनकी माता सत्यवती ने इन्हें रोकने का प्रयास किया, किन्तु अन्त में इनके माता के स्मरण करते ही लौट आने का वचन देने पर उन्होंने इनको वन जाने की आज्ञा दे दी। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[वेदव्यास|व्यास]]
  
 
{[[गांधारी]] ने कितनी बार अपने आँखों की पट्टी खोली?
 
{[[गांधारी]] ने कितनी बार अपने आँखों की पट्टी खोली?
पंक्ति 173: पंक्ति 174:
 
-12  दिन
 
-12  दिन
 
-18 दिन
 
-18 दिन
 +
|| [[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|महाभारत युद्ध में भीष्म कृष्ण की प्रतिज्ञा भंग करवाते हुए]] दसवें दिन अर्जुन ने वीरवर भीष्म पर बाणों की बड़ी भारी वृष्टि की। इधर द्रुपद की प्रेरणा से शिखण्डी ने भी पानी बरसाने वाले मेघ की भाँति भीष्म पर बाणों की झड़ी लगा दी। दोनों ओर के हाथीसवार, घुड़सवार, रथी और पैदल एक-दूसरे के बाणों से मारे गये। भीष्म की मृत्यु उनकी इच्छा के अधीन थी। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महाभारत]]
  
 
{[[द्रौपदी]] का महान कार्य क्या था?
 
{[[द्रौपदी]] का महान कार्य क्या था?
पंक्ति 180: पंक्ति 182:
 
-[[अभिमन्यु]] को शिक्षा देना
 
-[[अभिमन्यु]] को शिक्षा देना
 
+[[अश्वत्थामा]] को क्षमा करना
 
+[[अश्वत्थामा]] को क्षमा करना
 +
|| अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]]
  
 
{[[कृष्ण]] के वंश का नाश होने का कारण क्या था?  
 
{[[कृष्ण]] के वंश का नाश होने का कारण क्या था?  
पंक्ति 187: पंक्ति 190:
 
-[[दुर्वासा]] का श्राप
 
-[[दुर्वासा]] का श्राप
 
-[[विश्वामित्र]] का श्राप
 
-[[विश्वामित्र]] का श्राप
 +
|| गान्धारी [[गांधार|गान्धार]] देश के सुबल नामक राजा की कन्या थी। इसीलिए इसका नाम गान्धारी पड़ा। गान्धारी [[धृतराष्ट्र]] की पत्नी और [[दुर्योधन]] आदि की माता थीं। [[शिव]] के वरदान से गांधारी के 100 पुत्र हुए, जो [[कौरव]] कहलाये। गान्धारी पतिव्रता के रूप में आदर्श थीं। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गांधारी]]
  
 
{[[युधिष्ठिर]] के स्वर्ग जाने पर कौन उनके साथ गया था?
 
{[[युधिष्ठिर]] के स्वर्ग जाने पर कौन उनके साथ गया था?

12:14, 18 मार्च 2011 का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान

पन्ने पर जाएँ

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59
Bulbgraph.png इस सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी में कुल 15 प्रश्न हैं। इसे हल करने के उपरांत पन्ने के नीचे की ओर "परिणाम देखें" पर क्लिक करें और उत्तरों का मिलान करें साथ ही अर्जित अंक भी देखें।

1 पाण्डव नकुल की माता का नाम क्या था-

कुंती
माद्री
जानकी
सुभद्रा

2 अर्जुन ने जयद्रथ को कब तक मार देने की प्रतिज्ञा की थी?

सूर्यास्त से पहले
सूर्योदय से पहले
सांयकाल से पहले
प्रातकाल से पहले

3 कर्ण को अमोघ शक्ति प्रदान की थी-

सूर्य
कृष्ण
इन्द्र
वरुण

4 बलराम की पत्नी का क्या नाम था?

रुक्मणी
रेवती
रम्भा
भद्रा

5 कृष्ण के वंश का क्या नाम था?

इक्ष्वाकु
भरत
सूर्य
भीमसात्वत

6 पाण्डवों की ओर से लड़ने वाला कौरव था?

युयुत्स
दु:शासन
लक्ष्मण
शिशुपाल

8 महाभारत में बलराम की भूमिका क्या थी?

पाण्डवों की ओर से लड़े
कौरवों की ओर से लड़े
तीर्थाटन के लिए चले गये
युद्ध देखते रहे

9 महाभारत में कृष्ण की सेना किसकी ओर से लड़ी?

आधी कौरव और आधी पाण्डवों की ओर से
कौरवों की ओर से
पाण्डवों की ओर से
उदासीन रही

10 महाभारत युद्ध में कर्ण के सारथी का नाम क्या था?

शल्य
अधिरथ
श्रुतकीर्ति
भद्रसेन

11 कर्ण ने अपने कवच-कुण्डल किसे दान दिये?

दुर्वासा ऋषि को
वसिष्ठ ऋषि को
परशुराम ऋषि को
इन्द्र देव को

12 निम्न में से कौन अतिरथी नहीं था?

द्रोणाचार्य
भीष्म
कृष्ण
अर्जुन

13 भीष्म कितनी सेना समाप्त करके जल गृहण करते थे?

एक हजार
पाँच हजार
दस हजार
अट्ठारह हजार

14 चक्रव्यूह की रचना किसने की थी?

शकुनि
द्रोणाचार्य
जयद्रथ
विदुर

16 शकुनि के राज्य का क्या नाम था?

मगध
कौशल
अंग
गांधार

17 अर्जुन ने द्रोणाचार्य के जिस मित्र को परास्त किया, उसका नाम था?

कृपाचार्य
द्रुपद
शल्य
विदुर

18 युद्ध में जिस हाथी को भीम ने मारा था, उसका नाम क्या था?

कुवलिया पीढ़
अश्वत्थामा
चाणूर
ऐरावत

19 अश्वत्थामा द्वारा छोड़े गये ब्रह्मास्त्र को किसने शांत किया था?

कृष्ण
अर्जुन
व्यास
भीष्म

20 गांधारी ने कितनी बार अपने आँखों की पट्टी खोली?

कभी नहीं
एक बार
दो बार
तीन बार

21 महाभारत युद्ध का मुख्य कारण क्या था?

दुर्योधन द्वारा कृष्ण का अपमान
भीम की प्रतिज्ञा
युधिष्ठिर की प्रतिज्ञा
द्रौपदी के केश

22 महाभारत युद्ध में भीष्म ने कितने दिन युद्ध किया?

8 दिन
10 दिन
12 दिन
18 दिन

23 द्रौपदी का महान कार्य क्या था?

दुर्वासा के हज़ारों शिष्यों को भोजन कराना
अज्ञातवास का जीवन गुजारना
अभिमन्यु को शिक्षा देना
अश्वत्थामा को क्षमा करना

24 कृष्ण के वंश का नाश होने का कारण क्या था?

महाभारत युद्ध
गांधारी का श्राप
दुर्वासा का श्राप
विश्वामित्र का श्राप

25 युधिष्ठिर के स्वर्ग जाने पर कौन उनके साथ गया था?

द्रौपदी
अर्जुन
भीम
एक कुत्ता

पन्ने पर जाएँ

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान