"उत्पल" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
*उत्पल तथा विदल नाम के दो दैत्य अत्यन्त बलवान थे। उन्होंने [[ब्रह्मा]] से वर प्राप्त किया था कि उन्हें कोई मनुष्य मार नहीं पायेगा। उनके अनाचार से दु:खी होकर [[नारद]] ने एक युक्ति सोची।  
 
*उत्पल तथा विदल नाम के दो दैत्य अत्यन्त बलवान थे। उन्होंने [[ब्रह्मा]] से वर प्राप्त किया था कि उन्हें कोई मनुष्य मार नहीं पायेगा। उनके अनाचार से दु:खी होकर [[नारद]] ने एक युक्ति सोची।  
 
*नारद ने उत्पल तथा विदल के सम्मुख गिरिजा के सौंदर्य की प्रशंसा की। उत्पल तथा विदल दैत्य गिरिजा को प्राप्त करने के लिए कटिबद्ध हो गये।  
 
*नारद ने उत्पल तथा विदल के सम्मुख गिरिजा के सौंदर्य की प्रशंसा की। उत्पल तथा विदल दैत्य गिरिजा को प्राप्त करने के लिए कटिबद्ध हो गये।  
*एक बार गिरिजा सखियों के साथ गेंद खेल रही थी। उत्पल तथा विदल दोनों विमान से उतरकर उसका अपहरण करने के लिए उद्यत हुए तभी [[शिव]] का संकेत पाकर गिरिजा ने दोनों पर गेंद फेंकी। वे गेंद को पकड़ते एवं घूमते-घूमते [[पृथ्वी]] पर जा गिरे। जहाँ उत्पल तथा विदल दैत्य गिरे थे उसी स्थान पर कुंडलेश लिंग की स्थापना की गई।<ref>(पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-35</ref>
+
*एक बार गिरिजा सखियों के साथ गेंद खेल रही थी। उत्पल तथा विदल दोनों विमान से उतरकर उसका अपहरण करने के लिए उद्यत हुए तभी [[शिव]] का संकेत पाकर गिरिजा ने दोनों पर गेंद फेंकी। वे गेंद को पकड़ते एवं घूमते-घूमते [[पृथ्वी]] पर जा गिरे। जहाँ उत्पल तथा विदल दैत्य गिरे थे उसी स्थान पर कुंडलेश लिंग की स्थापना की गई।
 
 
  
 
{{प्रचार}}
 
{{प्रचार}}
पंक्ति 14: पंक्ति 13:
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
(पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-35
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==

10:08, 22 अप्रैल 2011 का अवतरण

  • उत्पल तथा विदल नाम के दो दैत्य अत्यन्त बलवान थे। उन्होंने ब्रह्मा से वर प्राप्त किया था कि उन्हें कोई मनुष्य मार नहीं पायेगा। उनके अनाचार से दु:खी होकर नारद ने एक युक्ति सोची।
  • नारद ने उत्पल तथा विदल के सम्मुख गिरिजा के सौंदर्य की प्रशंसा की। उत्पल तथा विदल दैत्य गिरिजा को प्राप्त करने के लिए कटिबद्ध हो गये।
  • एक बार गिरिजा सखियों के साथ गेंद खेल रही थी। उत्पल तथा विदल दोनों विमान से उतरकर उसका अपहरण करने के लिए उद्यत हुए तभी शिव का संकेत पाकर गिरिजा ने दोनों पर गेंद फेंकी। वे गेंद को पकड़ते एवं घूमते-घूमते पृथ्वी पर जा गिरे। जहाँ उत्पल तथा विदल दैत्य गिरे थे उसी स्थान पर कुंडलेश लिंग की स्थापना की गई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-35

संबंधित लेख