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*सितार के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं। अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार इसका निर्माण [[वीणा]] के एक प्रकार के आधार पर हुआ है। भारतीयता को महत्त्व देने वाले भारतीय विद्वान इस मत को सहज में ही मान लेते हैं।
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*सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया।
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*सितार को [[भारत]] का राष्ट्रीय [[वाद्य यंत्र]] होने का गौरव भी प्राप्त है।
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*सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा वाद्य यंत्र है जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।
  
==सितार / Sitar==
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*सितार के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं । अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं । कुछ विद्वानों के मतानुसार इसका निर्माण वीणा के एक प्रकार के आधार पर हुआ है । भारतीयता को महत्व देने वाले भारतीय विद्वान इस मत को सहज में ही मान लेते हैं ।
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{{लेख प्रगति
*दूसरे मतानुसार इसका आविष्कार 14वीं शताब्दी में [[अलाउद्दीन खिलजी]] के दरबारी हजरत [[अमीर ख़ुसरो]] ने मध्यमादि वीणा पर 3 तार चढ़ाकर सितार को जन्म दिया । उस समय उसका नाम '''सहतार''' रखा गया । फ़ारसी में 'सह' का अर्थ 3 होता हैं । धीरे-धीरे सहतार बिगड़ते-बिगड़ते सितार हो गया और 3 तार के स्थान पर 7 तार अथवा 8 तार लगाये जाने लगे ।
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*तीसरे मतानुसार सितार पूर्णतया अभारतीय वाद्य है । यह वाद्य परशिया से भारत में आया । एक तारा, दो तारा, सहतारा, चहरतारा, पचतारा क्रमश: 1, 2, 3, 4 अथवा 5 तार वाले वाद्य आज भी परशिया के लोक-संगीत में व्यवह्रत हैं । सम्भव है  इस वाद्य के प्रचार में अमीर ख़ुसरो का विशेष हाथ रहा हो ।
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*सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया।
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==संबंधित लेख==
 
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06:05, 11 अगस्त 2011 के समय का अवतरण

सितार
Sitar
  • सितार के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं। अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार इसका निर्माण वीणा के एक प्रकार के आधार पर हुआ है। भारतीयता को महत्त्व देने वाले भारतीय विद्वान इस मत को सहज में ही मान लेते हैं।
  • दूसरे मतानुसार इसका आविष्कार 14वीं शताब्दी में अलाउद्दीन ख़िलजी के दरबारी हजरत अमीर ख़ुसरो ने मध्यमादि वीणा पर 3 तार चढ़ाकर सितार को जन्म दिया। उस समय उसका नाम सहतार रखा गया । फ़ारसी में 'सह' का अर्थ 3 होता हैं। धीरे-धीरे सहतार बिगड़ते-बिगड़ते सितार हो गया और 3 तार के स्थान पर 7 तार अथवा 8 तार लगाये जाने लगे।
  • तीसरे मतानुसार सितार पूर्णतया अभारतीय वाद्य है। यह वाद्य परशिया से भारत में आया। एक तारा, दो तारा, सहतारा, चहरतारा, पचतारा क्रमश: 1, 2, 3, 4 अथवा 5 तार वाले वाद्य आज भी परशिया के लोक-संगीत में व्यवह्रत हैं। सम्भव है कि इस वाद्य के प्रचार में अमीर ख़ुसरो का विशेष हाथ रहा हो।
  • हिन्दू तथा मुसलमान, इन दोनों के श्रेष्ठ वाद्य यंत्रों के मिश्रण से सितार की उत्पत्ति मानी जाती है।
  • सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया।
  • सितार को भारत का राष्ट्रीय वाद्य यंत्र होने का गौरव भी प्राप्त है।
  • सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा वाद्य यंत्र है जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।


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