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*[[मेरठ]] में स्थित सूरज कुण्ड एक बड़ा कुण्ड है जिसमें कुछ समय पहले तक स्थायी रूप से पानी रहा करता था, किन्तु अब यह सूख गया है। *सूरज कुण्ड के चारो ओर मेरठ के कुछ अति महत्वपूर्ण तथा प्रचीन मंदिर स्थित हैं।  
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*[[मेरठ]] में स्थित सूरज कुण्ड एक बड़ा कुण्ड है जिसमें कुछ समय पहले तक स्थायी रूप से पानी रहा करता था, किन्तु अब यह सूख गया है।  
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*इस पवित्र कुंड का निर्माण एक धनी व्यापारी जवाहर लाल ने 1714 ई. में करवाया था।
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*प्रारंभ में आबू नाला से इस कुंड को जल प्राप्त होता था। वर्तमान में 'गंग नहर' से इसे जल प्राप्त होता है।
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*सूरज कुण्ड के चारों ओर मेरठ के कुछ अति महत्वपूर्ण तथा प्रचीन मंदिर स्थित हैं, जिनमें 'मनसा देवी मंदिर' और 'बाबा मनोहर नाथ मंदिर' प्रमुख हैं।
 
*इनमें कुछ मंदिर नागरी शैली के हैं तथा कुछ मंदिर मराठा शैली के हैं।  
 
*इनमें कुछ मंदिर नागरी शैली के हैं तथा कुछ मंदिर मराठा शैली के हैं।  
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*ये मंदिर [[शाहजहां]] के समय में बने थे।
 
*इन सब मंदिरों तथा उनके आस पास स्थित समाधियों पर अभिलेख भी मिलते हैं जो इस क्षेत्र के स्वर्णिम इतिहास के गवाह हैं।  
 
*इन सब मंदिरों तथा उनके आस पास स्थित समाधियों पर अभिलेख भी मिलते हैं जो इस क्षेत्र के स्वर्णिम इतिहास के गवाह हैं।  
 
*इन मंदिरों में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जो खुद में विशिष्ट हैं, जैसे - प्राचीन सती मंदिर और कुबेर मंदिर आदि।  
 
*इन मंदिरों में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जो खुद में विशिष्ट हैं, जैसे - प्राचीन सती मंदिर और कुबेर मंदिर आदि।  
 
*यहां मेरठ का अति प्राचीन गुरूद्वारा भी स्थित है। यहां एक महत्वपूर्ण समाधि [[हिन्दी]] की [[खड़ी बोली]] के आरम्भिक लेखक 'पं. गौरी दत्त' की है ।  
 
*यहां मेरठ का अति प्राचीन गुरूद्वारा भी स्थित है। यहां एक महत्वपूर्ण समाधि [[हिन्दी]] की [[खड़ी बोली]] के आरम्भिक लेखक 'पं. गौरी दत्त' की है ।  
 
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10:01, 19 अगस्त 2011 का अवतरण

  • मेरठ में स्थित सूरज कुण्ड एक बड़ा कुण्ड है जिसमें कुछ समय पहले तक स्थायी रूप से पानी रहा करता था, किन्तु अब यह सूख गया है।
  • इस पवित्र कुंड का निर्माण एक धनी व्यापारी जवाहर लाल ने 1714 ई. में करवाया था।
  • प्रारंभ में आबू नाला से इस कुंड को जल प्राप्त होता था। वर्तमान में 'गंग नहर' से इसे जल प्राप्त होता है।
  • सूरज कुण्ड के चारों ओर मेरठ के कुछ अति महत्वपूर्ण तथा प्रचीन मंदिर स्थित हैं, जिनमें 'मनसा देवी मंदिर' और 'बाबा मनोहर नाथ मंदिर' प्रमुख हैं।
  • इनमें कुछ मंदिर नागरी शैली के हैं तथा कुछ मंदिर मराठा शैली के हैं।
  • ये मंदिर शाहजहां के समय में बने थे।
  • इन सब मंदिरों तथा उनके आस पास स्थित समाधियों पर अभिलेख भी मिलते हैं जो इस क्षेत्र के स्वर्णिम इतिहास के गवाह हैं।
  • इन मंदिरों में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जो खुद में विशिष्ट हैं, जैसे - प्राचीन सती मंदिर और कुबेर मंदिर आदि।
  • यहां मेरठ का अति प्राचीन गुरूद्वारा भी स्थित है। यहां एक महत्वपूर्ण समाधि हिन्दी की खड़ी बोली के आरम्भिक लेखक 'पं. गौरी दत्त' की है ।


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