"चंचल पग दीप-शिखा-से -सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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सौन्दर्य-शिखाओं में अनन्त! | सौन्दर्य-शिखाओं में अनन्त! | ||
− | + | सौरभ की शीतल ज्वाला से | |
− | + | फैला उर-उर में मधुर दाह | |
− | + | आया वसन्त, भर पृथ्वी पर | |
− | + | स्वर्गिक सुन्दरता का प्रवाह! | |
पल्लव-पल्लव में नवल रुधिर | पल्लव-पल्लव में नवल रुधिर | ||
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पुष्पों के चित्रित दीप जला! | पुष्पों के चित्रित दीप जला! | ||
− | + | अधरों की लाली से चुपके | |
− | + | कोमल गुलाब के गाल लजा, | |
− | + | आया, पंखड़ियों को काले-- | |
− | + | पीले धब्बों से सहज सजा! | |
कलि के पलकों में मिलन-स्वप्न, | कलि के पलकों में मिलन-स्वप्न, | ||
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आकुल जड़-चेतन स्नेह-प्राण! | आकुल जड़-चेतन स्नेह-प्राण! | ||
− | + | काली कोकिल!--सुलगा उर में | |
− | + | स्वरमयी वेदना का अँगार, | |
− | + | आया वसन्त, घोषित दिगन्त | |
− | + | करती भव पावक की पुकार! | |
आः, प्रिये! निखिल ये रूप-रंग | आः, प्रिये! निखिल ये रूप-रंग |
10:27, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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चंचल पग दीप-शिखा-से धर |
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