"जब आग लगे... -रामधारी सिंह दिनकर" के अवतरणों में अंतर
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कात्या सिंह (चर्चा | योगदान) |
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गांधी को उल्टा घिसो और जो धूल झरे, | गांधी को उल्टा घिसो और जो धूल झरे, | ||
उसके प्रलेप से अपनी कुण्ठा के मुख पर, | उसके प्रलेप से अपनी कुण्ठा के मुख पर, | ||
− | ऐसी नक्काशी | + | ऐसी नक्काशी गढ़ो कि जो देखे, बोले, |
आखिर, बापू भी और बात क्या कहते थे? | आखिर, बापू भी और बात क्या कहते थे? | ||
12:31, 25 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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सीखो नित नूतन ज्ञान, नई परिभाषाएं, |
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