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आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल
 
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साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
 
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धरती पे लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई
 
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वाह रे फ़कीर खूब क़रामात दिखाई
 
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चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल
 
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रघुपति राघव राजा राम
 
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पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना
 
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मारा वो कस के दाँव के उल्टी सभी की चाल
 
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क़दमों में तेरी कोटि-कोटि प्राण चल पड़े
 
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फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल
 
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मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी
 
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लाखों में लिए घूमता था सत्य की सोंटी
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वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी
 
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लेकिन तुझी से झुकती थी हिमालय की चोटी
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दुनिया में तू बेजोड़ था इन्सान बेमिसाल
 
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साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
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दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
 
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रघुपति राघव राजा राम
 
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जग में कोई जिया है तो बापू तू ही जिया
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तूने वतन की राह में सब कुछ लुटा दिया
 
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मांगा न कोई तख़्त न तो ताज ही लिया
 
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* '''फिल्म''' : जागृति (1954)
 
* '''संगीतकार''' : हेमंत
 
* '''स्वर''' : लता मंगेशकर
 
 
  
  
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.youtube.com/watch?v=w999fBZs8MY दे दी हमें आज़ादी]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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11:06, 13 जनवरी 2012 का अवतरण

संक्षिप्त परिचय
  • फ़िल्म : जागृति
  • संगीतकार : हेमंत कुमार
  • गायिका : लता मंगेशकर
  • गीतकार: प्रदीप

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

धरती पे लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई
दागी न कहीं तोप न बंदूक चलाई
दुश्मन के क़िले पर भी न की तूने चढ़ाई
वाह रे फ़कीर खूब क़रामात दिखाई
चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
रघुपति राघव राजा राम

शतरंज बिछा कर यहाँ बैठा था ज़माना
लगता था कि मुश्क़िल है फ़िरंगी को हराना
टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था दाना
पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना
मारा वो कस के दाँव के उल्टी सभी की चाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
रघुपति राघव राजा राम

जब-जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े
मज़दूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े
हिंदू व मुसलमान, सिख, पठान चल पड़े
क़दमों में तेरी कोटि-कोटि प्राण चल पड़े
फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
रघुपति राघव राजा राम

मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी
लाखों में घूमता था लिए सत्य की सोंटी
वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी
लेकिन तुझी झुकती थी हिमालय की चोटी
दुनिया में तू बेजोड़ था इन्सान बेमिसाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
रघुपति राघव राजा राम

जग में कोई जिया है तो बापू तूही जिया
तूने वतन की राह में सब कुछ लुटा दिया
मांगा न कोई तख़्त न तो ताज ही लिया
अमृत दिया सभी को मगर ख़ुद ज़हर पिया
जिस दिन तेरी चिता जली, रोया था महाकाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
रघुपति राघव राजा राम


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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