"स्नान" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
छो (Text replace - "{{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भि�)
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
  
 
{{प्रचार}}
 
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
+
{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
|आधार=आधार1
 
|प्रारम्भिक=
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

07:27, 27 जुलाई 2012 का अवतरण

नित्य, नैमित्तिक, काम्य भेद से स्नान तीन प्रकार का होता है-

  • नैमित्तिक स्नान ग्रहण, अशौच आदि में होता है।
  • तीर्थों का स्नान काम्य कहा जाता है।
  • नित्य स्नान प्रति दिनों का धार्मिक कृत्य माना गया है।

ये तीन स्नान मुख्य स्नान हैं। इनके अतिरिक्त गौण स्नान भी है, जो सात प्रकार के हैं, जिनका प्रयोग शरीर के अवस्थाभेद से किया जाता है-

  1. मान्त्र (मन्त्र से स्नान)। ‘आपो हिष्ठा’ आदि वेद मन्त्रों के द्वारा।
  2. भौम (मिट्टी से स्नान)। सूखी मिट्टी शरीर में मसलना।
  3. आग्नेय (अग्नि से स्नान)। पवित्र भस्म सारे शरीर में लगाना।
  4. वायव्य (वायु से स्नान)। गौओं (गायों) के खुरों से उड़ी हुई धुल शरीर पर गिरने देना।
  5. दिव्य (आकाश से स्नान)। धूप निकलते समय वर्षा में स्नान करना।
  6. वारुण (जल से स्नान)। नदी-कूप आदि के जल से स्नान।
  7. मानस (मानसिक स्नान)। विष्णु भगवान के नामों का स्मरण करना।

धर्म कार्य के पूर्व स्नान करना अनिवार्य बतलाया गया है



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक ‘हिन्दू धर्मकोश’) पृष्ठ संख्या-610