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'हार की जीत' पंडित जी की पहली कहानी है जो1920 में [[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती]] में प्रकाशित हुई थी। [[लाहौर]] की उर्दू [[पत्रिका]], 'हज़ार दास्तां' में उनकी अनेक कहानियां प्रकाशित हुईं। उनकी पुस्तकें [[मुम्बई]] के 'हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर' कार्यालय द्वारा भी प्रकाशित हुईं। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी।  उनकी रचनाओं में हार की जीत, सच का सौदा, अठन्नी का चोर, साईकिल की सवारी, तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
 
'हार की जीत' पंडित जी की पहली कहानी है जो1920 में [[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती]] में प्रकाशित हुई थी। [[लाहौर]] की उर्दू [[पत्रिका]], 'हज़ार दास्तां' में उनकी अनेक कहानियां प्रकाशित हुईं। उनकी पुस्तकें [[मुम्बई]] के 'हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर' कार्यालय द्वारा भी प्रकाशित हुईं। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी।  उनकी रचनाओं में हार की जीत, सच का सौदा, अठन्नी का चोर, साईकिल की सवारी, तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
 
==फ़िल्मी पटकथा और गीत==
 
==फ़िल्मी पटकथा और गीत==
मुख्यधारा विषयक साहित्य-सृजन के अतिरिक्त पंडित सुदर्शन ने अनेकों फिल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे। [[सोहराब मोदी]] की सिकंदर (1941) सहित अनेक फिल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है। सन 1935 में उन्होंने 'कुंवारी या विधवा' फिल्म का निर्देशन भी किया। आप 1950 में बने फिल्म लेखक संघ के प्रथम उपाध्यक्ष थे। सुदर्शन 1945 में [[महात्मा गांधी]] द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में थे। पंडित सुदर्शन ने फिल्म धूप-छाँव (1935) के प्रसिद्ध गीत 'बाबा मन की आँखें खोल' व एक अन्य गीत 'तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफ़िर जाग ज़रा' जो शायद किसी फिल्म का गीत न होते हुए भी बहुत लोकप्रिय हुआ जैसे गीत लिखे हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.bharatdarshan.co.nz/stories/sudershan-biography-hindi-writers.html |title=सुदर्शन का जीवन-परिचय |accessmonthday=14 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=भारत दर्शन |language=हिंदी }}</ref>
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13:37, 14 दिसम्बर 2012 का अवतरण

पंडित सुदर्शन (अंग्रेज़ी: Sudarshan ) का वास्तविक नाम पं. बद्रीनाथ भट्ट था। सुदर्शन हिंदी-उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। इनका जन्म सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में 1896 में हुआ था।

परिचय

सुदर्शन की कहानियों का मुख्य लक्ष्य समाज व राष्ट्र को स्वच्छ व सुदृढ़ बनाना रहा है। प्रेमचन्द की भांति आप भी मूलत: उर्दू में लेखन करते थे व उर्दू से हिन्दी में आये थे। सुदर्शन की भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी और मुहावरेदार है। सुदर्शन, प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। आपकी प्रायः सभी प्रसिद्ध कहानियों में समस्यायों का समाधान आदशर्वाद से किया गया है। 'हार की जीत' जैसी कालजयी रचना के इस लेखक के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क की तरह पंडित सुदर्शन हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे। उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिकारमणप्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की जाती है।

कृतियाँ

'हार की जीत' पंडित जी की पहली कहानी है जो1920 में सरस्वती में प्रकाशित हुई थी। लाहौर की उर्दू पत्रिका, 'हज़ार दास्तां' में उनकी अनेक कहानियां प्रकाशित हुईं। उनकी पुस्तकें मुम्बई के 'हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर' कार्यालय द्वारा भी प्रकाशित हुईं। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी। उनकी रचनाओं में हार की जीत, सच का सौदा, अठन्नी का चोर, साईकिल की सवारी, तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

फ़िल्मी पटकथा और गीत

मुख्यधारा विषयक साहित्य-सृजन के अतिरिक्त पंडित सुदर्शन ने अनेकों फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे। सोहराब मोदी की सिकंदर (1941) सहित अनेक फ़िल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है। सन 1935 में उन्होंने 'कुंवारी या विधवा' फ़िल्म का निर्देशन भी किया। आप 1950 में बने फ़िल्म लेखक संघ के प्रथम उपाध्यक्ष थे। सुदर्शन 1945 में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में थे। पंडित सुदर्शन ने फ़िल्म धूप-छाँव (1935) के प्रसिद्ध गीत 'बाबा मन की आँखें खोल' व एक अन्य गीत 'तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफ़िर जाग ज़रा' जो शायद किसी फ़िल्म का गीत न होते हुए भी बहुत लोकप्रिय हुआ जैसे गीत लिखे हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सुदर्शन का जीवन-परिचय (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) भारत दर्शन। अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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