"खटमल-मच्छर-युद्ध -काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून ।
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'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून।
नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून ॥
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नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून॥
मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली ।
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मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली।
हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली ॥
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हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली॥
किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको ।
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किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको।
नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको ॥
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नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको॥
  
हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ।
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हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर।
ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर ॥
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ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर॥
नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई ।
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नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई।
घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं ॥
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घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं॥
 
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - ।
 
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - ।
 
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥
 
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥
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==संबंधित लेख==
 
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11:32, 13 जून 2013 के समय का अवतरण

खटमल-मच्छर-युद्ध -काका हाथरसी
काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
जन्म 18 सितंबर, 1906
जन्म स्थान हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 18 सितंबर, 1995
मुख्य रचनाएँ काका की फुलझड़ियाँ, काका के प्रहसन, लूटनीति मंथन करि, खिलखिलाहट आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
काका हाथरसी की रचनाएँ

'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून।
नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून॥
मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली।
हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली॥
किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको।
नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको॥

हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर।
ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर॥
नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई।
घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं॥
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - ।
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥


 




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