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'''दुर्गा प्रसाद खत्री''' (जन्म- [[12 जुलाई]], [[1895]], [[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[5 अक्टूबर]], [[1937]]) [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध [[उपन्यास]] लेखकों में से एक थे। ये ख्याति प्राप्त [[देवकीनन्दन खत्री]] के पुत्र थे, जिन्हें [[भारत]] ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में भी तिलिस्मी [[उपन्यासकार]] के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त थी।<ref>{{cite web |url=http://www.kashikatha.com/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0/ |title=काशी के साहित्यकार|accessmonthday= 11 जनवरी|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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*[[वाराणसी]] (भूतपूर्व [[काशी]]) में जन्में प्रख्यात तिलस्मी उपन्यासकार [[देवकीनन्दन खत्री]] के पुत्र दुर्गा प्रसाद खत्री भी उपन्यास लेखक थे।
 
*[[वाराणसी]] (भूतपूर्व [[काशी]]) में जन्में प्रख्यात तिलस्मी उपन्यासकार [[देवकीनन्दन खत्री]] के पुत्र दुर्गा प्रसाद खत्री भी उपन्यास लेखक थे।

07:56, 4 जुलाई 2014 का अवतरण

दुर्गा प्रसाद खत्री (जन्म- 12 जुलाई, 1895, वाराणसी, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 5 अक्टूबर, 1974) हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यास लेखकों में से एक थे। ये ख्याति प्राप्त देवकीनन्दन खत्री के पुत्र थे, जिन्हें भारत ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में भी तिलिस्मी उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त थी।[1]

  • वाराणसी (भूतपूर्व काशी) में जन्में प्रख्यात तिलस्मी उपन्यासकार देवकीनन्दन खत्री के पुत्र दुर्गा प्रसाद खत्री भी उपन्यास लेखक थे।
  • 1912 ई. में विज्ञान और गणित में विशेष योग्यता के साथ स्कूल लीविंग परीक्षा इन्होंने पास की। इसके बाद उन्होंने लिखना आरंभ किया और डेढ़ दर्जन से अधिक उपन्यास लिखे।
  • दुर्गा प्रसाद खत्री ने ‘उपन्यास लहरी’ नामक पत्र का सम्पादन भी किया थी।
  • 'रणभेरी' नामक एक अन्य पत्रिका का सम्पादन भी इन्होंने किया था। दुर्गा प्रसाद खत्री ने 1500 कहानियाँ, 31 उपन्यास व हास्य प्रधान लेख लिखे।
  • भूतनाथ (1907-1913) (अपूर्ण) - देवकीनन्दन खत्री ने अपने उपन्यास 'चन्द्रकान्ता सन्तति' के एक पात्र को नायक बना कर 'भूतनाथ' उपन्यास की रचना की। किन्तु असामायिक मृत्यु के कारण वह इस उपन्यास के केवल छः भागों ही लिख पाये। आगे के शेष पन्द्रह भाग उनके पुत्र दुर्गा प्रसाद खत्री ने लिख कर पूरे किये। 'भूतनाथ' भी कथावस्तु की अन्तिम कड़ी नहीं है। इसके बाद बाबू दुर्गा प्रसाद खत्री लिखित 'रोहतास मठ' (दो खंडों में) आता है।

इन्हें भी देखें: देवकीनन्दन खत्री एवं भूतनाथ -देवकीनन्दन खत्री


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काशी के साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2014।

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