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'''तरुण राम फुकन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tarun Ram Phukan'', जन्म: [[22 जनवरी]], [[1877]] - मृत्यु: [[24 जुलाई]], [[1939]]) [[असम]] के प्रमुख कार्यकर्ताओं में से एक थे। इनका जन्म [[22 जनवरी]], [[1877]] ई. को [[गुवाहाटी]] में हुआ था। इन्होंने अपना व्यावसायिक जीवन बैरिस्टरी से प्रारम्भ किया था। स्वराज्य पार्टी के प्रचार-प्रसार में इनका बहुत बड़ा हाथ था। [[भारत]] में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए तरुण राय ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया। वे महिलाओं की समानता के सदा पक्षधर रहे थे। 24 जुलाई, 1939 ई. में इनका निधन हुआ था।
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==संक्षिप्त परिचय==
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*तरुण राय फुकन स्वराज्य पार्टी में थे, और इसके प्रचार में उनका अग्रणी हाथ था।
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*तरुण राम फुकन स्वराज्य पार्टी में थे, और इसके प्रचार में उनका अग्रणी हाथ था।
 
*सामाजिक सौहार्द्र के समर्थक, अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं की समानता के पक्षधर फुकन का 1939 ई. को निधन हुआ।
 
*सामाजिक सौहार्द्र के समर्थक, अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं की समानता के पक्षधर फुकन का 1939 ई. को निधन हुआ।
  

05:00, 29 मई 2015 के समय का अवतरण

तरुण राम फुकन
तरुण राम फुकन
पूरा नाम तरुण राम फुकन
जन्म 22 जनवरी, 1877
जन्म भूमि गुवाहाटी, असम
मृत्यु 24 जुलाई, 1939
नागरिकता भारतीय
विद्यालय 'प्रेसिडेंसी कॉलेज' कोलकाता
शिक्षा वकालत
विशेष योगदान भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए तरुण राय ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
अन्य जानकारी 1921 में गांधी जी की असम प्रदेश यात्रा में वे पूरे समय उनके साथ रहे थे।

तरुण राम फुकन (अंग्रेज़ी: Tarun Ram Phukan, जन्म: 22 जनवरी, 1877 - मृत्यु: 24 जुलाई, 1939) असम के प्रमुख कार्यकर्ताओं में से एक थे। इनका जन्म 22 जनवरी, 1877 ई. को गुवाहाटी में हुआ था। इन्होंने अपना व्यावसायिक जीवन बैरिस्टरी से प्रारम्भ किया था। स्वराज्य पार्टी के प्रचार-प्रसार में इनका बहुत बड़ा हाथ था। भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए तरुण राय ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया। वे महिलाओं की समानता के सदा पक्षधर रहे थे। 24 जुलाई, 1939 ई. में इनका निधन हुआ था।

संक्षिप्त परिचय

  • तरुण राम फुकन ने कोलकाता के 'प्रेसिडेंसी कॉलेज' से शिक्षा प्राप्त की थी।
  • यहाँ से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे 1901 ई. में इंग्लैंड चले गए।
  • वहाँ से बैरिस्टरी की शिक्षा लेकर ये कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) आये और 'कोलकाता हाईकोर्ट' में वकालत शुरू की।
  • उनकी वकालत का यह क्रम अधिक दिनों तक नहीं चल सका, और वे वकालत छोड़कर कांग्रेस में सम्मिलित हो गए।
  • गांधी जी का उनके जीवन पर पूरी तरह से गहरा प्रभाव पड़ा था।
  • 1921 में गांधी जी की असम प्रदेश यात्रा में वे पूरे समय उनके साथ रहे थे।
  • जब कांग्रेस ग़ैरक़ानूनी घोषित हो गई, तो तरुण राम फुकन को गिरफ़्तार कर लिया गया था।
  • 1926 की गुवाहाटी कांग्रेस के वे स्वागताध्यक्ष थे, और उसी वर्ष कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य भी चुने गए।
  • तरुण राम फुकन स्वराज्य पार्टी में थे, और इसके प्रचार में उनका अग्रणी हाथ था।
  • सामाजिक सौहार्द्र के समर्थक, अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं की समानता के पक्षधर फुकन का 1939 ई. को निधन हुआ।


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 352 |


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