"प्रयोग:कविता सा.-1" के अवतरणों में अंतर
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− | + | {[[राजा रवि वर्मा]] ने [[भारत]] में सर्वप्रथ क्या स्थापित किया? | |
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||[[राजा रवि वर्मा]] ने सन् 1884 में ओलियोग्राफ़ी प्रेस खोली। इसे 'लोथोग्राफ़ी प्रेस' के नाम से जाना जाता था। इन्होंने बड़ी मात्रा में प्रेस से प्रौराणिक चित्रों की प्रतियां निकाली जिन्हें 'ओलियोग्राफ' कहा जाता है। | ||[[राजा रवि वर्मा]] ने सन् 1884 में ओलियोग्राफ़ी प्रेस खोली। इसे 'लोथोग्राफ़ी प्रेस' के नाम से जाना जाता था। इन्होंने बड़ी मात्रा में प्रेस से प्रौराणिक चित्रों की प्रतियां निकाली जिन्हें 'ओलियोग्राफ' कहा जाता है। | ||
− | {[[अजंता |अजंता]] में कितने प्रकार की गुफाएं हैं? | + | {[[अजंता |अजंता]] में कितने प्रकार की गुफाएं हैं? |
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+दो | +दो | ||
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||[[अजंता]] में दो प्रकार की गुफ़ाएं हैं। अजंता गुफ़ा अभयारण्य (आच्छादित पर्वतमाला) और बिहार (मठों) में बंटी है। [[अजंता की गुफाएं|अजंता की गुफ़ाएं]] [[बौद्ध धर्म]] से संबंधित हैं। | ||[[अजंता]] में दो प्रकार की गुफ़ाएं हैं। अजंता गुफ़ा अभयारण्य (आच्छादित पर्वतमाला) और बिहार (मठों) में बंटी है। [[अजंता की गुफाएं|अजंता की गुफ़ाएं]] [[बौद्ध धर्म]] से संबंधित हैं। | ||
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-तैल चित्रण में | -तैल चित्रण में | ||
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||मोम का प्रयोग कर बाटिक विधि से चित्रण कार्य किया जाता है। बाटिक चित्रण एक प्राचीन कला है। इस चित्रण में पहले कपड़े पर पिघले मोम से आकृति बनाई जाती है। शेष हिस्सों को लाख के [[रंग|रंगों]] से रंजित करने के बाद मोम द्वारा हटाया जाता है। इसे 'बंधक' कहा जाता है। | ||मोम का प्रयोग कर बाटिक विधि से चित्रण कार्य किया जाता है। बाटिक चित्रण एक प्राचीन कला है। इस चित्रण में पहले कपड़े पर पिघले मोम से आकृति बनाई जाती है। शेष हिस्सों को लाख के [[रंग|रंगों]] से रंजित करने के बाद मोम द्वारा हटाया जाता है। इसे 'बंधक' कहा जाता है। | ||
− | {सेरीग्राफ़ किसका तकनीकी नाम है? | + | {सेरीग्राफ़ किसका तकनीकी नाम है? |
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+सिल्क स्क्रीन प्रिंटिंग | +सिल्क स्क्रीन प्रिंटिंग | ||
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||बोल्टिंग क्लोथ का उपयोग 'सिल्क स्क्रीन छपाई' की प्रक्रिया में किया जाता है यह स्क्रीन प्रिंट या सेरीग्राफ़ स्क्रीन के माध्यम से स्याही डालकर किया गया प्रिंट है। यह एक स्टेंसिल तकनीक है। 20वीं शताब्दी में [[यूरोप]] में स्क्रीन तथा 'बोल्टिंग कलॉथ' को वाहक के रूप में उपयोग करके स्क्रीन प्रिंटिंग का काम किया जाता था। वर्तमान समय में नायलॉन और पॉलिएस्टर को स्क्रीन प्रिंटर्स के लिए मोनोफिलामेंट पदार्थ के रूप में सिल्क से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। | ||बोल्टिंग क्लोथ का उपयोग 'सिल्क स्क्रीन छपाई' की प्रक्रिया में किया जाता है यह स्क्रीन प्रिंट या सेरीग्राफ़ स्क्रीन के माध्यम से स्याही डालकर किया गया प्रिंट है। यह एक स्टेंसिल तकनीक है। 20वीं शताब्दी में [[यूरोप]] में स्क्रीन तथा 'बोल्टिंग कलॉथ' को वाहक के रूप में उपयोग करके स्क्रीन प्रिंटिंग का काम किया जाता था। वर्तमान समय में नायलॉन और पॉलिएस्टर को स्क्रीन प्रिंटर्स के लिए मोनोफिलामेंट पदार्थ के रूप में सिल्क से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। | ||
− | + | {[[विरोधी रंग |विरोधी रंग]] कौन-से हैं? | |
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+ | +[[लाल रंग|लाल]]-[[हरा रंग|हरा]] | ||
+ | -[[हरा रंग|हरा]]-[[नीला रंग|नीला]] | ||
+ | -[[पीला रंग|पीला]]-[[लाल रंग|लाल]] | ||
+ | -[[नीला रंग|नीला]]-[[बैंगनी रंग|बैंगनी]] | ||
+ | ||नीले का विरोधी अथवा पूरक रंग नारंगी होता है। [[प्राथमिक रंग|प्राथमिक]] व [[द्वितीयक रंग|द्वितीयक रंगों]] के मिश्रण से जो रंग बनते हैं उन्हें विरोधी रंग कहते हैं। इस प्रकार नारंगी का विरोधी आसमानी (नीला) व [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] का विरोधी रंग पीला है। [[लाल रंग|लाल]] का विरोधी रंग हरा होता है। | ||
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12:02, 11 जनवरी 2018 का अवतरण
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