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{'वाल्ट डिजनी' को किसका जनक माना जाता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-89
 
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-स्टिल फोटोग्राफी
 
+एनीमेशन प्रक्रिया
 
-वीडियों फ़िल्मिंग
 
-ब्लॉक मेकिंग
 
||'वाल्ट डिजनी' फ़िल्म को एनिमेशन तकनीक से बनाया गया है इसीलिए 'आल्ट डिजनी' को एनीमेशन प्रक्रिया का जनक माना जाता है। वाल्टर इलियास डिजनी एक अमेरिकन थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) वाल्टर इलियाम डिजनी का जन्म [[5 दिसंबर]], [[1901]] में इलिनोयस ([[शिकागो]]) में हुआ था। (2) इन्होंने आधुनिक अमेरिकन कला के रूप में 'मोशन पिक्चर उद्योग' का विस्तार किया। (3) वाल्टर डिजनी ने 'द एलीस कॉमेडीज' को बनाया। (4) [[21 दिसंबर]], [[1937]] में बनाई गई एनिमेशन फ़िल्म 'स्नोह्वाइट एंड सेवेन डवार्पस' उनकी पहली संगीतमयी पूर्ण फ़िल्म थी जिसे लॉस एंजिल्स के कैर्थी थिएटर में दिखाया गया। (5) वाल्टर डिजनी स्टूडियो द्वारा बनाई गई प्रमुख फ़िल्में हैं- 'पिनोच्चियो (Pinocchio), 'फनटासिया' (Fantasia),  'डूम्बो' (Dumdo), 'बाम्बी, (Bamby)|
 
 
{सबसे ऊँची [[महात्मा बुद्ध]] की मूर्ति जो हाल में ध्वस्त की गई थी, कहाँ स्थित थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-363
 
|type="()"}
 
-[[काबुल]]
 
-कुंदुल
 
+[[बामियान]]
 
-कैसर
 
||सबसे ऊँची [[महात्मा बुद्ध]] की मूर्ति जो हल ही में ध्वस्त की गई थी, वह [[बामियान]] में स्थित थी। तत्कालीन तालिबान नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के आदेश पर इसे वर्ष [[2001]] में नष्ट कर दिया गया था। इसका निर्माण गंधार कला शैली में हुआ है।
 
 
{[[मेसोपोटामिया]] की सभ्यता किस देश की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-16
 
|type="()"}
 
-[[पाकिस्तान]]
 
-[[ईरान]]
 
-[[अफ़ग़ानिस्तान]]
 
+इराक
 
||'[[मेमोपोटामिया]]' का यूनानी अर्थ है- 'दो नदियों के बीच'। यह क्षेत्र दजला (टिगरिस) और फरात (इयुफ्रेटीस) नदियों के बीच में पड़ता है। मेसोपोटामिया को अब 'इराक' कहते हैं। यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। यहां का प्रसिद्ध प्राचीन नगर 'उर' है, जिसे 'इब्राहिम का नगर' भी कहते हैं। निमरुद (मारी), उरुक, सूसा (ईरान) तथा लगाश यहाँ के प्राचीन उत्खनन के विशेष क्षेत्र रहे हैं।
 
 
{लासकाक्स की गुफ़ाओं में किस दीर्घकाय पशु की आकृति हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-5
 
|type="()"}
 
-[[सिंह]]
 
-[[हाथी]]
 
-डायनासोर
 
+बाइसन (महिष)
 
||[[फ़्राँस]] के लासकाक्स की गुफ़ाओं की खोज ब्रुइल ने वर्ष [[1940]] में की थी। दक्षिणी [[फ़्राँस]] में स्थित यह गुफ़ा फैंको-कैंटेब्रियन क्षेत्र में उपलब्ध गुफ़ा चित्रों में सर्वश्रेष्ठ है। यहाँ के चित्र आश्चर्यजनक रूप से सुरक्षित भी हैं और इनमें बड़ी चमक भी है। यहां के 'विशाल कक्ष' का एक नाम 'जंगली वृषभों वाला कक्ष' भी है। इसके चित्र बड़े मार्मिक हैं, जिनमें तीन पूर्ण तथा एक अपूर्ण आकृति अंकित है। इसी वर्ग में वह आकृति है जिसे एक सींग वाला अश्व कहा गया है। यहां हिरण तथा दो महिष (Bison-बाइसन) की आकृतियां भी प्राप्त होती हैं। लगभग अठारह फ़ीट लंबाई में अंकित ये चित्र हिमयुगीन कला का एक विशिष्ट पक्ष हैं।
 
 
{[[भारत]] में सचित्र पुस्तकें सर्वप्रथम किस माध्यम पर बनीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-3
 
|type="()"}
 
-कपड़े
 
+ताल-पत्रों
 
-[[काग़ज़]]
 
-लकड़ी के पट्टे
 
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो '[[मुग़ल कालीन चित्रकला|मुग़ल शैली]]' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इस शैली के चित्रकारों को [[जहांगीर]] व [[शाहजहां]] ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। (2) [[मुग़ल काल]] में [[राजस्थान]] में इस [[चित्रकला]] के कई स्कूल प्रारम्भ हुए। (3) भौगोलिक स्थिती, सांस्कृतिक एंव शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को चार भागों में विभाजित किया गया, ये हैं- मेवाड़ स्कूल, मारवाड़ स्कूल, हाड़ौती स्कूल, ढूंढाड़ स्कूल।
 
  
{[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] किसका सम्मिलित नाम है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-15
 
|type="()"}
 
-[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]
 
-अपभ्रंश शैली-किशनगढ़ शैली
 
+[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]-[[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]]
 
-जयपुर शैली-ईरानी शैली
 
||[[राजपूत चित्रकला|राजपूत चित्रकला शैली]] का सबसे पहले वैज्ञानिक विभाजन [[आनन्द कुमारस्वामी|डॉ. आनन्द कुमारस्वामी]] ने 'राजपूत पेंटिंग' नामक पुस्तक में वर्ष [[1916]] में प्रस्तुत किया तथा राजपूत कला का विषय राजपूताना अर्थात [[राजस्थान]] और [[पंजाब]] की पहाड़ी रियासतों से संबंधित माना। उन्होंने [[राजपूत चित्रकला]] को दो भागों अर्थात [[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी]] और [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी]] में विभक्त किया है। [[जम्मू]], [[कांगड़ा]], [[गढ़वाल]], [[बसौली]], [[चंबा]] आदि पहाड़ी रियासतों से संबंधित हैं।
 
  
{[[मुग़ल काल]] में [[चित्रकला]] का उत्कर्ष किसके राज्यकाल में हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-15
 
|type="()"}
 
-[[अकबर]]
 
-[[शाहजहां]]
 
-[[औरंगजेब]]
 
+[[जहांगीर]]
 
||[[शाहजहां]] (1627-1656 ई.) ने लगभग 30 वर्षों तक शासन किया। उसका यह शासन मुग़ल इतिहास में विशेष महत्त्व रखता है। यह समय [[मुग़ल साम्राज्य]] अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका था। साम्राज्य की विशालता, सुदृढ़ता, आर्थिक संपन्नता और सांस्कृतिक वैभव को देखते हुए कई इतिहासकारों ने इस काल को मुग़ल इतिहास के 'स्वर्ण युग' की संज्ञा दी है, परन्तु इस परंपरागत विचारधारा के आलोचक इतिहासकार भी हैं जिनके अनुसार, [[शाहजहां]] का शासनकाल एक विरोधाभास है जिसमें एक ओर उन्नति और प्रगति है तो दूसरी ओर ऐसी समस्याएं भी हैं जो मुग़ल साम्राज्य के पतन के बीच बोने में सहातक हुई। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) शाहजहां का शासनकाल सही अर्थों में 'मुग़ल स्थापत्य कला का स्वर्ण युग' माना जा सकता है। (2) [[जहांगीर]] का काल 'चित्रकला का स्वर्ण युग' कहा जा सकता है। (3) [[अकबर]] का शासनकाल 'साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र में स्वर्ण युग' माना जा सकता है। (4) [[अकबर]] ने स्वयं [[चित्रकला]] सीखी थी और उसने चित्रकारी का कुछ अभ्यास भी किया था। मुग़ल दरबार में चित्रकला को प्रोत्साहन अकबर के समय से ही मिलने लगा था।
 
 
{नैनसुख किस शैली का चित्रकार था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-4
 
|type="()"}
 
+[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]]
 
-[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]]
 
-[[बशोली चित्रकला|बसौली शैली]]
 
-[[गढ़वाल चित्रकला|गढ़वाल शैली]]
 
||नैनसुख [[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]] का एक प्रसिद्ध चित्रकार था। 1740 ई. में मैदानी प्रदेश से आए मुग़ल कलाकारों ने नैनसुख के साथ मिलकर काम किया तथा [[जम्मू]] के राजा बलदेव सिंह के राज परिवार के लिए चित्र भी बनाए।
 
  
 
{बंगाल कला शैली किस तकनीक से जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-5
 
{बंगाल कला शैली किस तकनीक से जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-5
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+वॉश तकनीक
 
+वॉश तकनीक
 
-टेम्परा तकनीक
 
-टेम्परा तकनीक
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] थे।
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||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुनर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] थे।
  
 
{चित्रकार [[जामिनी राय]] की प्रसिद्ध कलाकृति 'मां एवं शिशु' का माध्यम क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-85
 
{चित्रकार [[जामिनी राय]] की प्रसिद्ध कलाकृति 'मां एवं शिशु' का माध्यम क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-85
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-टेम्परा
 
-टेम्परा
 
-वॉश
 
-वॉश
||[[जामिनी राय]] ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'मां एवं शिशु' का चित्रण कैनवास पर तैल रंग से किया। जिसका विवरण राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, [[नई दिल्ली]] की वेबसाइट (ngmaindia.gov.in/hindi.sh-jamini-roy.asp) पर संग्रहीत है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) जामिनी राय ने अधिकांशत: जमीनी या प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया। (2) इन्होंने स्थानीय लोक कलाओं की विषय-वस्तु को अपनी [[कला]] में समावेश किया। (3) इन्होंने [[रामायण]] और [[कृष्णलीला]] के दृश्यों को अपनी कला में उतारा। (4) इन्होंने गांव के स्त्री-पुरुष का चित्रण किया तथा पटुआ के संग्रह से लोकप्रिय प्रतिबिंबों को पुन: लोगों के बीच प्रस्तुत किया। (5) 'बाउल एवं बैठी हुई महिला' उनके चित्रकारी का उत्कृष्ट उदाहरण है।
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||[[जामिनी राय]] ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'मां एवं शिशु' का चित्रण कैनवास पर तैल रंग से किया। जिसका विवरण राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, [[नई दिल्ली]] की वेबसाइट पर संग्रहीत है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) जामिनी राय ने अधिकांशत: जमीनी या प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया। (2) इन्होंने स्थानीय लोक कलाओं की विषय-वस्तु को अपनी [[कला]] में समावेश किया। (3) इन्होंने [[रामायण]] और [[कृष्णलीला]] के दृश्यों को अपनी कला में उतारा। (4) इन्होंने गांव के स्त्री-पुरुष का चित्रण किया तथा पटुआ के संग्रह से लोकप्रिय प्रतिबिंबों को पुन: लोगों के बीच प्रस्तुत किया। (5) 'बाउल एवं बैठी हुई महिला' उनके चित्रकारी का उत्कृष्ट उदाहरण है।
 
 
 
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12:32, 7 फ़रवरी 2018 का अवतरण

1 {बंगाल कला शैली किस तकनीक से जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-5

तैल तकनीक
लघु चित्रण तकनीक
वॉश तकनीक
टेम्परा तकनीक

2 चित्रकार जामिनी राय की प्रसिद्ध कलाकृति 'मां एवं शिशु' का माध्यम क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-85

कैनवास पर तैल रंग
कैनवास पर टेम्परा
टेम्परा
वॉश