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सन 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] विजेता डा. सुब्रहमण्यम चंद्रशेखर खगोल भौतिक शास्त्री थे। उनकी शिक्षा [[चेन्नई]] के प्रेसीडेंसी कालेज में हुई। वह नोबेल पुरस्कार विजेता [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|सर सी. वी. रमन]] के भतीजे थे। बाद में डा. चंद्रशेखर [[अमेरिका]] चले गए। जहाँ उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं।
  
सन 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] विजेता डा. सुब्रहमण्यम चंद्रशेखर  खगोल भौतिक शास्त्री थे। उनकी शिक्षा [[चेन्नई]] के प्रेसीडेंसी कालेज में हुई। वह नोबेल पुरस्कार विजेता [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|सर सी. वी. रमन]] के भतीजे थे। बाद में डा. चंद्रशेखर [[अमेरिका]] चले गए। जहाँ उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं।
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*सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने 'व्हाइट ड्वार्फ', यानी श्वेत बौने नाम के नक्षत्रों के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन किया।  
 
 
*उन्होंने 'व्हाइट ड्वार्फ', यानी श्वेत बौने नाम के नक्षत्रों के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन किया।  
 
 
*इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की है, उसे चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है।  
 
*इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की है, उसे चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है।  
 
*उनके सिद्धांत से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला।  
 
*उनके सिद्धांत से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला।  
 
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05:22, 12 अक्टूबर 2010 का अवतरण

सन 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता डा. सुब्रहमण्यम चंद्रशेखर खगोल भौतिक शास्त्री थे। उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसीडेंसी कालेज में हुई। वह नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी. वी. रमन के भतीजे थे। बाद में डा. चंद्रशेखर अमेरिका चले गए। जहाँ उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं।

  • सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने 'व्हाइट ड्वार्फ', यानी श्वेत बौने नाम के नक्षत्रों के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
  • इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की है, उसे चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है।
  • उनके सिद्धांत से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला।

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