"निर्मला ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - " जगत " to " जगत् ") |
||
पंक्ति 43: | पंक्ति 43: | ||
'[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]]' से परास्नातक निर्मला ठाकुर ने [[वर्ष]] [[1960]] से [[कविता]] लिखनी शुरू की। उस दौर की प्रमुख पत्रिकाओं 'नई कविता', '[[धर्मयुग पत्रिका|धर्मयुग]]', 'लहर', 'कल्पना', '[[युगवाणी (पत्रिका)|युगवाणी]]', 'झंकार' और 'कृति' आदि में उनकी कविताएं लगातार प्रकाशित हुईं। [[2005]] में उनका काव्य संग्रह ‘कई रूप-कई रंग’ और [[2014]] में 'हंसती हुई लड़की' 'राधाकृष्ण प्रकाशन' से प्रकाशित हुआ। | '[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]]' से परास्नातक निर्मला ठाकुर ने [[वर्ष]] [[1960]] से [[कविता]] लिखनी शुरू की। उस दौर की प्रमुख पत्रिकाओं 'नई कविता', '[[धर्मयुग पत्रिका|धर्मयुग]]', 'लहर', 'कल्पना', '[[युगवाणी (पत्रिका)|युगवाणी]]', 'झंकार' और 'कृति' आदि में उनकी कविताएं लगातार प्रकाशित हुईं। [[2005]] में उनका काव्य संग्रह ‘कई रूप-कई रंग’ और [[2014]] में 'हंसती हुई लड़की' 'राधाकृष्ण प्रकाशन' से प्रकाशित हुआ। | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
− | अंतिम दिनों में निर्मला ठाकुर आर्थराइटिस की मरीज हो गई थीं। तमाम इलाज के बाद भी सुधार नहीं हुआ, बल्कि समय के साथ दूसरे अन्य रोगों ने उन्हें दबोच लिया। [[20 नवम्बर]], [[2014]] को झूँसी ([[इलाहाबाद]]) स्थित उनके आवास पर निर्मला ठाकुर का निधन हुआ। निर्मला ठाकुर की जिंदादिली, मेहमाननवाजी और सहयोगी रवैये ने उन्हें साहित्य | + | अंतिम दिनों में निर्मला ठाकुर आर्थराइटिस की मरीज हो गई थीं। तमाम इलाज के बाद भी सुधार नहीं हुआ, बल्कि समय के साथ दूसरे अन्य रोगों ने उन्हें दबोच लिया। [[20 नवम्बर]], [[2014]] को झूँसी ([[इलाहाबाद]]) स्थित उनके आवास पर निर्मला ठाकुर का निधन हुआ। निर्मला ठाकुर की जिंदादिली, मेहमाननवाजी और सहयोगी रवैये ने उन्हें साहित्य जगत् में मशहूर कर दिया था। |
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
14:12, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
निर्मला ठाकुर
| |
पूरा नाम | निर्मला ठाकुर |
जन्म | 1942 |
जन्म भूमि | महुई ग्राम, आजमगढ़ ज़िला, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 20 नवम्बर, 2014 |
मृत्यु स्थान | झूँसी, इलाहाबाद |
पति/पत्नी | दूधनाथ सिंह |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | 'कई रूप-कई रंग', 'हंसती हुई लड़की' आदि। |
विद्यालय | 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' |
शिक्षा | एम. ए. (हिन्दी) |
प्रसिद्धि | कवियित्री |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | निर्मला ठाकुर 'आकाशवाणी इलाहाबाद' में कार्यक्रम अधिशाषी के रूप में काम करती थीं। यहीं से वर्ष 2002 में सहायक केंद्र निदेशक के रूप में सेवा निवृत्त हुईं। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
निर्मला ठाकुर (अंग्रेज़ी: Nirmala Thakur ; जन्म- 1942, आजमगढ़ ज़िला, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 20 नवम्बर, 2014, इलाहाबाद) भारत की प्रसिद्ध कवियित्री थीं। देश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ लगातार प्रकशित हुई थीं। इन्होंने प्रसिद्ध कहानीकार दूधनाथ सिंह से प्रेम विवाह किया था। वर्ष 2005 में निर्मला ठाकुर का काव्य संग्रह 'कई रूप-कई रंग' और 2014 में 'हंसती हुई लड़की' 'राधाकृष्ण प्रकाशन' से प्रकाशित हुआ था।
जन्म तथा शिक्षा
निर्मला ठाकुर का जन्म 1942 ई. में उत्तर प्रदेश के ज़िला आजमगढ़ में 'महुई' नामक ग्राम में हुआ था। निर्मला जी प्रख्यात आलोचक मलयज की बहन थीं। बचपन से ही मलयज और शमशेर सिंह का इन्हें सान्निध्य प्राप्त हुआ था। इन्होंने 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' से हिन्दी में एम. ए. की डिग्री प्राप्त की थी।
व्यावसायिक शुरुआत
अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् निर्मला ठाकुर 'आकाशवाणी इलाहाबाद' में कार्यक्रम अधिशाषी के रूप में काम करने लगीं। यहीं से वर्ष 2002 में सहायक केंद्र निदेशक के रूप में सेवा निवृत्त हुईं।
विवाह
वर्ष 1963 में अपने परिवार से विद्रोह कर निर्मला ठाकुर ने कहानीकार दूधनाथ सिंह के साथ प्रेम विवाह किया था।
लेखन कार्य
'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' से परास्नातक निर्मला ठाकुर ने वर्ष 1960 से कविता लिखनी शुरू की। उस दौर की प्रमुख पत्रिकाओं 'नई कविता', 'धर्मयुग', 'लहर', 'कल्पना', 'युगवाणी', 'झंकार' और 'कृति' आदि में उनकी कविताएं लगातार प्रकाशित हुईं। 2005 में उनका काव्य संग्रह ‘कई रूप-कई रंग’ और 2014 में 'हंसती हुई लड़की' 'राधाकृष्ण प्रकाशन' से प्रकाशित हुआ।
निधन
अंतिम दिनों में निर्मला ठाकुर आर्थराइटिस की मरीज हो गई थीं। तमाम इलाज के बाद भी सुधार नहीं हुआ, बल्कि समय के साथ दूसरे अन्य रोगों ने उन्हें दबोच लिया। 20 नवम्बर, 2014 को झूँसी (इलाहाबाद) स्थित उनके आवास पर निर्मला ठाकुर का निधन हुआ। निर्मला ठाकुर की जिंदादिली, मेहमाननवाजी और सहयोगी रवैये ने उन्हें साहित्य जगत् में मशहूर कर दिया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- निर्मला ठाकुर की कविताएँ
- दूधनाथ सिंह की पत्नी कवयित्री निर्मला ठाकुर का निधन
- जीवित रहूंगी मैं - निर्मला ठाकुर की कविताएँ
संबंधित लेख