छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-23

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  • धर्म के तीन स्कन्ध-

यहाँ धर्म के तीन स्कन्धों के विषय में वर्णन किया गया है। धर्म के ये तीन आधारस्तम्भ हैं-

  1. यज्ञ, अध्ययन और दान,
  2. तप,
  3. साधनारत ब्रह्मचारी जब अपने शरीर को क्षीण कर लेता है।
  • प्रथम तीन से त्रयी विद्या-ऋक्, साम और यजु- की उत्पत्ति हुई।
  • दूसरे तप के प्रभाव से त्रयी विद्या से 'भू:' और 'स्व:' की उत्पत्ति हुई है तथा
  • तीसरे साधना से तीन अक्षरों का सारतत्त्व ओंकार (ॐ) प्राप्त हुआ। ओंकार द्वारा सम्पूर्ण वाणियां व्याप्त हैं। ओंकार ही सम्पूर्ण जगत है और यही सम्पूर्ण आकाश है।


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