मंगलयान

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मंगलयान (औपचारिक नाम- 'मंगल कक्षित्र मिशन', अंग्रेज़ी- Mars Orbiter Mission, संक्षिप्त नाम- MOM) भारत का प्रथम मंगल अभियान है। वस्तुत: यह 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) की महत्त्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत 5 नवम्बर, 2013 को मंगल ग्रह की परिक्रमा करने के लिये छोड़ा गया एक उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया। इसके साथ ही भारत भी उन देशों में शामिल हो गया, जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे हैं। भारत विश्व का ऐसा पहला देश है, जिसने अपने पहले ही प्रयास में मंगल पर उपग्रह भेजने में सफलता प्राप्त की है। इस मिशन पर भारत ने करीब 450 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो बाकी देशों के अभियानों की तुलना में सबसे ज़्यादा क़िफ़ायती है।

इतिहास

इसरो के अध्यक्ष माधवन नायर द्वारा 23 नवंबर, 2008 को मंगल ग्रह के लिए एक मानव रहित मिशन की पहली सार्वजनिक अभिस्वीकृति की घोषणा की गई थी। भारत के मंगलयान मिशन की अवधारणा 2008 में चंद्र उपग्रह चंद्रयान-1 के प्रक्षेपण के बाद अंतरिक्ष विज्ञान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा 2010 में एक व्यवहार्यता अध्ययन के साथ शुरू हुई। भारत सरकार ने इस परियोजना को 3 अगस्त, 2012 में मंजूरी दे दी थी। 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' ने 125 करोड़ रुपये के ऑर्बिटर के लिए आवश्यक अध्ययन पूरा किया। परियोजना की कुल लागत 450 करोड़ रुपये हुई। अंतरिक्ष एजेंसी ने 28 अक्टूबर, 2013 को प्रक्षेपण की योजना बनाई, लेकिन प्रशांत महासागर में खराब मौसम के कारण इसरो के अंतरिक्ष यान, ट्रैकिंग जहाजों को पहुंचने में देरी हुई। इस कारण अभियान को 5 नवंबर, 2013 तक स्थगित कर दिया गया।

ईंधन की बचत के लिए होहमान्न स्थानांतरण कक्षा में प्रक्षेपण के अवसर हर 26 महीने में घटित होते हैं। पीएसएलवी-एक्सएल लांच सी25 वाहन को जोड़ने का कार्य 5 अगस्त, 2013 को शुरू हुआ था। मंगलयान को वाहन के साथ जोड़ने के लिए 2 अक्टूबर, 2013 को श्रीहरिकोटा भेज दिया गया। उपग्रह के विकास को तेजी से रिकॉर्ड 15 महीने में पूरा किया गया। अमेरिका की संघीय सरकार के बंद के बावजूद नासा ने 5 अक्टूबर, 2013 को मिशन के लिए संचार और नेविगेशन समर्थन प्रदान करने की पुष्टि की। 30 सितंबर, 2014 को एक बैठक के दौरान नासा और इसरो के अधिकारियों ने मंगल ग्रह के भविष्य के संयुक्त मिशन के लिए मार्ग स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए तथा दोनों देशों ने मंगलयान और मेवेन अंतरिक्ष यानों के आंकड़े को साझा करने का फैसला किया।


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