जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आशा चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:01, 7 जनवरी 2020 का अवतरण (Adding category Category:विदेशी (को हटा दिया गया हैं।))
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर

जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर सत्रहवीं शताब्दी के सर्वाधिक ख्याति प्राप्त विदेशी यात्रियों में से एक था। यह मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के शासन काल में भारत आया था। कर्म से तो वह एक जौहरी था, किंतु साथ ही एक अनुभवी और साहसिक यात्री भी था।

  • टॅवरनियर अपने समय का एक ख्याति-प्राप्त फ़्राँसीसी यात्री था। उसने अपनी यात्राएँ 15 वर्ष की आयु में ही आरम्भ कर दी थीं।
  • पूर्व दिशा की ओर उसने सात यात्राएँ कीं, जिनमें से छ: बार की यात्राएँ हिन्दुस्तान के लिए थीं।
  • जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर की यात्राएं प्रारम्भ हुई 1641 ई. में और इसका अंत 1686-1687 ई. में हुआ।
  • उसकी यात्रा वृत्तांत की पाण्डुलिपि ‘बिबिलियोथिक इम्पीरियले’ से प्राप्त हुई, जिसके एक नोट से ऐसी जानकारी मिलती है कि उसके यात्रा वृत्तांत के कुछ भाग को उसके मित्र शाप्युजो ने तैयार किया था, जो एक इतिहासकार था और कुछ भाग उसकी यात्राओं के साथी दैलिये दलांद ने तैयार किया था।
  • 1675 ई. में उसका वृत्तांत 'नुवैल रलेस्यों द्युसैरायि ग्रांसिन्योर' शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुआ था। फिर अगले वर्ष ‘मेग्ननम ओपस दि सिक्स वौयेजेस’ प्रकाशित हुई।
  • जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर ने ही भारतीय प्रसिद्ध हीरेकोहिनूर’ के सम्बंध में जानकारी दी है। जवाहरात तथा मोतियों के बारे में अत्यंत महत्त्वपूर्ण तथा विशुद्ध विवरण उसने प्रदान किये हैं।
  • टॅवरनियर का विवरण मुग़लों के आर्थिक इतिहास की जानकारी के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • मुग़ल सामन्त शाइस्ता ख़ाँ आदि के चरित्र-चित्रण भी टॅवरनियर ने प्रस्तुत किये थे। उसके उल्लेखों से मुग़लकालीन शासन व्यवस्था की वास्तविक तथा सही जानकारी प्राप्त होती है।
  • इसके अतिरिक्त मथुरा के 'केशोराय पाटन' तथा काशी के 'केशव मंदिर' का भी रोचक उल्लेख उसने किया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख