उत्तरायण

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  • उत्तरायण शब्द 'उत्तर' एवं 'अयन' इन दो शब्दों से बना है।
  • 'अयन' का अर्थ होता है चलना।
  • सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात गमन को उत्तरायन कहा जाता है।
  • आधे वर्ष तक सूर्य, आकाश के उत्तर गोलार्ध में रहता है।
  • उत्तरायन के छह महीनों में सूर्य मकर से मिथुन तक भ्रमण करते हैं।
  • उत्तरायन काल को प्राचीन ऋषि मुनियों ने पराविद्याओं, जप, तप, सिद्धि प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना है।
  • मकर संक्रांति उत्तरायन काल का प्रारंभ दिन है इसलिए इस दिन किया गया दान, पुण्य, अक्षय फलदायी होता है।
  • सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश के कारण इसे मकर संक्रांति कहते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ