अंगूर
अंगूर एक फल है। अंगूर सारे भारत में आसानी से उपलब्ध फल है। इसमें विटामिन-सी तथा ग्लूकोज़ पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में ख़ून की वृद्धि करता है और कमज़ोरी दूर करता है। यही कारण है कि डॉक्टर लोग मरीज़ों को फलों में अंगूर भी खाने की सलाह देते हैं।
अंगूर का फलों में बहुत महत्त्व है क्योंकि इसमें शक्कर की मात्रा अधिक और ग्लूकोज़ के रूप में होती है। ग्लूकोज़ रासायनिक प्रक्रिया का नतीजा होने के कारण शरीर में तुरन्त सोख लिया जाता है। इसलिए अंगूर खाने के बाद आप तुरंत स्फूर्ति अनुभव करते हैं। अंगूर विटामिनों का भी सर्वोत्तम स्रोत हैं। विटामिन का सेवन ख़ाली पेट ज़्यादा लाभदायक होता है इसलिए अंगूर का सेवन प्रात: काल श्रेयस्कर है। लाल और काले रंग के अंगूर शाम के समय खाए जा सकते हैं।
आरोग्यकारी फल
अंगूर स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक और सुपाच्य होने के कारण आरोग्यकारी फल है। अंगूर फलों में सर्वोत्तम एवं निर्दोष फल है, क्योंकि यह सभी प्रकार की प्रकृति के मनुष्य के लिए अनुकूल है। निरोग के लिए अंगूर उत्तम पौष्टिक खाद्य है तो रोगी के लिए बलवर्धक भोजन है। जब अंगूर भोजन रूप में न दिया जा सके तब मुनक्का का सेवन किया जा सकता है। अंगूर के रंग और आकार तथा स्वाद की भिन्नता से कई किस्में होती है। काले अंगूर, बैगनी रंग के अंगूर, लम्बे अंगूर, छोटे अंगूर, बीज रहित, जिनकी सुखाकर किशमिश बनाई जाती है। काले अंगूरों को सूखाकर मुनक्का बनाया जाता है।
पौष्टिक भोजन
अंगूर स्वस्थ मनुष्य के लिए पौष्टिक भोजन है और रोगी के लिए शक्तिप्रद पदार्थ है। जिन बड़े-बड़े भयंकर और जटिल रोगों में किसी प्रकार का कोई पदार्थ जब खाने-पीने को नहीं दिया जाता तब ऐसी दशा में अंगूर या दाख दी जाती है। अंगूर अकेला खाने पर लाभ करता है, किसी अन्य वस्तु के साथ मिलाकर इसे नहीं खाना चाहिए।
अंगूर में कई महत्त्वपूर्ण तत्त्व भी भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। अंगूर में पाई जाने वाली शर्करा पूरी तरह से ग्लूकोज़ से बनी होती है, जो कुछ किस्मों में 11 से 12 प्रतिशत तक होती है और कुछ में 50 प्रतिशत। यह शर्करा शरीर में पहुँचकर एनर्जी प्रदान करती है। इसलिए इसे हम एक आदर्श टॉनिक की तरह प्रयोग में लाते हैं। अंगूर का सेवन थकान को दूर कर शरीर को चुस्त-फुर्त व मज़बूत बनाता है।[1]
गुणधर्म
- पके अंगूर- दस्तावर, शीतल, आँखों के लिए हितकारी, पुष्टि कारक, पाक या रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाला, मल तथा मूत्र को निकालने वाला, वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), पौष्टिक, कफ कारक, रुचिकारक है। यह प्यास, बुखार, सांस (पीलिया), मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कठिनाई होना), रक्तपित्त (ख़ूनी पित्त), दाह (जलन), शोथ तथा मेह को नष्ट करने वाला है।
- कच्चा अंगूर- गुणों में हीन, भरी और कफ पित्तहारी और रक्त पित्त हरने वाला है।
- काली दाख या गोल मुनक्का- (एक या डेढ़ इंच लम्बे गोस्तन की तरह) वीर्य वर्धक, भारी और कफ पित्त नाशक है।
- किशमिश- बिना बीज की छोटी किशमिश मधुर, शीतल, वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), हृदय की पीड़ा, रक्त पित्त, स्वर भेद, प्यास, वात, पित्त और मुख के कड़वेपन को दूर करती है।
- ताजा अंगूर- रुधिर को पतला करने वाले छाती के रोगों में लाभ पहुँचाने वाले बहुत जल्दी पचने वाले रक्त शोधक तथा ख़ून बढ़ाने वाले होते हैं।
बीमारियों में फ़ायदेमंद
- अंगूर में क्षारीय तत्त्व बढ़ाने की अच्छी क्षमता के कारण ही शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता, मोटापा, जोड़ों का दर्द, रक्त का थक्का जमना, दमा, नाड़ी की समस्या व त्वचा पर लाल चकत्ते उभरने आदि स्थितियों में इसका सेवन लाभकारी होता है।
- अंगूर मियादी बुखार, मानसिक परेशानी, पाचन की गड़बड़ी आदि के लिए भी काफ़ी लाभकारी है।
- अंगूर एक अच्छा रक्त शोधक व रक्त विकारों को दूर करने वाला फल है।
- अंगूर की बेल काटने से जो रस निकलता है, वह त्वचा रोगों में लाभकारी होता है।
- अंगूर रक्त की क्षारीयता सन्तुलित करता है, क्योंकि रक्त में अम्ल व क्षार का अनुपात 20:80 होना चाहिए।
सुझाव
अंगूर में शक्कर की मात्रा बहुत ज़्यादा है। अंगूर जितने गहरे रंग का होता है उतना ही पौष्टिक होता है। स्वाद के अनुसार हरे या गहरे लाल रंग के अंगूर खा सकते हैं। इन्हें दूध से बने कस्टर्ड, क्रीम दही या पुडिंग में बिना पकाए डाला जा सकता है।[2]
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