अंघ्रि:अंहि:

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अंघ्रिः-अहिः [अङ्‌घ+क्रिन्]

1. पैर
2. वृक्ष की जड़
3. श्लोक का चौथा चरण

समस्त पद-नामक-(पुल्लिंग)-नामन् (न.) वृक्ष की जड़।-प. वृक्ष-दिक्षु व्यूढाङ्घ्रिपाङ्गः[1]-पर्णी,-वल्लिका,-वल्ली (स्त्रीलिंग) सिंह पुष्पी नामक पौधा।-पान (विशेषण) बच्चे की भांति अपने पैर का अंगूठा चूसने वाला-स्कन्धः टखना।[2]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वेणी. 2/18
  2. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 13 |

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