अक्षत
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अक्षत (विशेषण) [नञ्+क्षण्+क्त-न. त.]
(क) जिसे चोट न लगी हो-त्वमनंगः कथमक्षता रतिः- कु. 4/9
(ख) जो टूटा न हो, सम्पूर्ण, अविभक्त-तः
- 1. शिव
- 2. कूट-फटक कर धूप में सुखाए गए चावल।-ताः (बहु.) अनटूटा अनाज, सब प्रकार के धार्मिक उत्सवों पर काम आने वाले पिछोड़े, कूटे तथा जल से धोए हुए चावल-साक्षत- पात्रहस्ता-रघुवंश 2/21
- 3 जौ, यव-तं
- 1. धान्य, किसी भी प्रकार का अनाज
- 2. हिजड़ा (पुं. भी),-ता कुमारी, कन्या। सम.-योनिः (स्त्रीलिंग) वह कन्या जिसके साथ संभोग न किया गया हो-मनुस्मृति 9/176[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 05 |
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