अङ्गार:-रं

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अङ्गारः-रं [अङ्ग+आरन्]

1. कोयला (जलता हुआ या बुझा हुआ, ठंडा); 1. तुमने स्वयं अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारी, तु. 'अपने लिए स्वयं खाई खोदना' ।
2. मंगल ग्रह,-रं (न.) लाल रंग

सम.-कारिन-पु. बिक्री के लिए कोयला तैयार करने वाला। -धानिका, धानी, -पात्री,-शकटी (स्त्रीलिंग) अंगीठी, कांगड़ी,-पात्री,-शकटी अंगीठी, बोरसा, कांगड़ी;-वल्लरी-वल्ली नाना प्रकार के पौधों का नाम विशेषतः 'गुंजा' घुंघची।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 12 |

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