अङ्‌गुलि:-ली

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अङ्गुलिः-ली, अङ्गुरिः-री (स्त्रीलिंग) [अंग्+उलि]

1. अंगुली (पांचों अंगुलियों के नाम-अंगुष्ठ, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा या कनिष्का हैं)-पैर का पंजा-पांव की अंगुली कहलाती है।
2. अंगूठा, पैर का अंगूठा
3. हाथी की सूंड की नोक
4. 'अंगुल, नाप विशेष।

सम.-तोरणं मस्तक पर चन्दन का अर्ध चन्द्राकार तिलक:-त्रं-त्राणं अंगूठे की रक्षा के निमित्त बना एक प्रकार का दस्ताना जिसे धनुर्धर पहनते हैं;

निर्देश (पुल्लिंग) किसी की ओर अंगुली उठाना, निन्दा।-पर्वन (नं.) उंगली की नोक।-मुद्रा,-मुद्रिका मोहर लगाने की अंगूठी,-मोटनं,-स्फोटनं चुटकी बजाना, अंगुली चटकाना;-संज्ञा अंगुलियों से संकेत-मुखार्पितैकाङ्गुलिसंज्ञयैव-कुमा. 3/41;-संदेशः अंगुलियों के इशारे से संकेत करना;-संभूतः नाखून।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 13 |

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