अञ्च्
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अञ्च् (भ्वा. उभ. सक. वेटू) [अञ्चति-ते, आनञ्च, अञ्चितुं, अञ्च्यात्-अंच्यात्, अक्त-अञ्चित]
- 1. मोड़ना, झुकाना; शिरोऽञ्चित्वा-भट्टि. 9/40
- 2. जाना, हिलना, झुकाव होना-स्वतन्त्रा कथमञ्चसि-भट्टि. 4/22, त्वं चेदञ्चसि लोभम्-भामि. 1/46 लालायित होना।
- 3. पूजा करना, सम्मान करना, आदर करना, सुशोभित करना, सम्मानित करना। दे. आगे 'अञ्चित'
- 4. प्रार्थना करना, इच्छा करना
- 5. बुड़बुड़ाना, अस्पष्ट बोलना। प्रेर. या चु. उभ.-प्रकट करना, प्रकाशित करना,-मुदमञ्चय-गीत. 10
उपसर्गों के साथ प्रयोग-
अप्-दूर करना, हटाना, हट जाना;
आ-झुकाना;
उत्- 1. ऊपर उठना, 2. उन्नत होना, प्रकट होना; उदञ्चनमात्सर्य-गं. ल.
- 6. उप्-खींचना, (जल) ऊपर निकालना; नि-
- 1. झुकाना, इच्छा करना
- 2. कम करना, अपेक्षा करना-न्यञ्चति वयसि प्रथमेभामि. 2/47
- 6. उप्-खींचना, (जल) ऊपर निकालना; नि-
परा-मोड़ना, मुड़ना-याताश्चेन्न पराञ्चन्ति द्विरदानां रदा इव-भामि. 1/65;
परि-घुमाना, भंवर में डालना, मरोड़ना;
वि-खींचना, नीचे को झुकना, फैलना, फैलाना;
सम्- भीड़ करना, इकट्ठे हांकना, इकट्ठे झुकना।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 17 |
संबंधित लेख