अञ्जन:

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

अञ्जनः [अञ्ज्+ल्युट्] (पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा के) रक्षक हाथी, -नं (न.)

1. काजल, सुरमा; लीपना पोतना, मिलाना
2. प्रकट करना, व्यक्त करना
3. विलोचनं दक्षिणमञ्जनेन सम्भाव्य-रघुवंश 7/8, असृत° उत्त. 4/19, मृच्छ. 1/34; (आलं. भी) अज्ञानान्धस्य लोकस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै पाणिनये नमः ।। शिक्षा. 45, (तु.) दारिद्रयं परमाञ्जनम्
4. लेप सौंदर्यवर्धक उबटन
5. मसो
6. आग
7. रात्रि
8. (-नं, -ना) (सा. शा.) व्यङ्गयार्थ, व्यङ्गयार्थ के प्रकट होने की प्रक्रिया, अनेकार्थक शब्द का प्रयोग जिसका प्रसङ्गतः विशेष अर्थ होता है-अनेकार्थस्य शब्दस्य वाचकत्वे नियन्त्रिते। संयोगाद्यैरवाच्यार्थधीकृद्व्यापृतिरञ्जनम् ।। काव्य 2, दे. 'व्यञ्जना' भी।


सम.-केश (विशेषण) जिसके बाल बहुत काले हों।

केशी (स्त्रीलिंग) एक सुगन्ध द्रव्य जिसे स्त्रियां बालों में लगाती हैं।

अंभस् (नपुं.) आँख का पानी

शलाका सुरमा लगाने की सलाई।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 17 |

संबंधित लेख