अञ्जलि:
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अञ्जलिः [अञ्ज्+अलि]
- 1. दोनों खुले हाथों को मिलाकर बनाया हुआ कटोरा, करसंपुट, अंजलिभर वस्तु-सुपूरो मूषिकाञ्जलि;-पंच. 1/25, प्रकीर्णः पुष्पाणां हरिचरणयोरञ्जलिरयम्-वेणी. 1/1, अंजलिभर फूल; इसी प्रकार-जलस्यांजलयो दश-या. 3/105, दस अंजलियां अर्थात् जल से तर्पण;- श्रवणाञ्जलिपुटपेयम्-वेशी. 1/4; अञ्जलि रच्,-बंधू,-कृ या-आधा, हाथ जोड़कर नमस्कार करना।
- 2. अत एव सम्मान या नमस्कार का चिह्न, रघुवंश 11/78
- 3. अनाज की माप=कुडव
सम.-कर्मन् (नपुं.) हाथ जोड़ना, आदरयुत नमस्कार;-कारिका मिट्टी की गुड़िया, -पुटः-टं दोनों खुले हाथों को जोड़ने से बने कटोरे के आकार का गर्त, हाथ की खुली हथेलियाँ।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 17-18 |
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