अटल सुरंग
अटल सुरंग
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स्थिति | रोहतांग, हिमाचल प्रदेश |
आधारशिला | 26 मई 2002 |
उद्घाटन | 3 अक्टूबर, 2020 |
मार्ग | लेह-मनाली राजमार्ग |
संचालक | सीमा सड़क संगठन |
लम्बाई | 9.02 कि.मी. |
गति | 40-80 कि.मी./घंटा |
चौड़ाई | 10 मी. |
ऊंचाई | 5.525 मीटर |
अन्य जानकारी | अटल सुरंग की प्रतिदिन 3 हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार की गई है, जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। |
अटल सुरंग (अंग्रेज़ी: Atal Tunnel) भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में स्थित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग का उद्घाटन 3 अक्टूबर, 2020 को किया। इस सुरंग के खुल जाने से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है। अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। 9.02 लंबी यह सुरंग मनाली को सालों भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। पहले घाटी छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी। सुरंग को हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।
आधारशिला व नामकरण
अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है जबकि उत्तरी पोर्टल 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है। घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है। अटल सुरंग की डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार की गई है जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। नरेन्द्र मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम 'अटल सुरंग' रखने का निर्णय किया था। इस सुरंग से हर रोज 3000 कार और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ जा सकेंगे। सुरंग में अग्नि शमन, रोशनी और निगरानी के व्यापक इंतजाम किये गए हैं। रोहतांग दर्रे के नीचे यह ऐतिहासिक सुरंग बनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 3 जून 2000 में लिया गया था। इसके बाद से सीमा सड़क संगठन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इसे पूरा करने में जुटा था। सेरी नाला फाल्ट जोन में 587 मीटर क्षेत्र में सुरंग बनाने का काम सबसे चुनौतीपूर्ण था और इसे 15 अक्टूबर 2017 को पूरा किया गया।
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने 2014 में निमार्ण स्थल का दौरा कर निमार्ण कार्य का जायजा लिया था। 24 दिसम्बर, 2019 को पीएम मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वाजपेयी जी के इसमें योगदान के लिए इस सुरंग का नाम रोहतांग सुरंग के बजाय अटल सुरंग रखने को मंजूरी दी। सुरंग का 40 प्रतिशत कार्य पिछले दो सालों में पूरा किया गया है और इसके निमार्ण पर 3200 करोड़ रूपये की लागत आई है। सुरंग के दोनों द्वारों पर बैरियर लगे हैं। आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं। घटनाओं का स्वत: पता लगाने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी है। हर 25 मीटर पर आपात निकास के संकेत है तथा पूरी सुरंग में ब्रोडकास्टिंग सिस्टम लगाया गया है। सुरंग में हर 60 मीटर की दूरी पर कैमरे भी लगाये गये हैं।[1]
महत्त्व
अटल सुरंग के बनने से सेना को भी बड़ी मदद मिली है। यह सुरंग सैनिकों की तेज़ीसे लामबंदी और सीमाओं को आपूर्ति की सुविधा प्रदान करेगी। लद्दाख के निवासी जिन्हें स्वास्थ्य और खाद्य आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता था, अब इस नई सुरंग का उपयोग करते हुए मनाली तक आसानी से पहुंच सकेंगे और देश के बाकी हिस्सों से जुड़ सकेंगे। यात्रा के समय में कमी आने से कई लोगों को मदद मिलेगी। पेट्रोल और सब्जी की आपूर्ति जैसी आवश्यक वस्तुएं भी पूरे वर्ष उपलब्ध होंगी। लाहौल घाटी और लद्दाख के निवासियों का कहना है कि पर्यटन क्षेत्र में आजीविका को बढ़ावा मिल सकता है।
इस सुरंग से अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के वाहनों की आवाजाही संभव है। हर रोज 3000 कारों और 1500 ट्रकों की आवाजाही के लिहाज से डिजाइन किया गया है।
विशेषता
यह सुरंग मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और समय लगभग चार से पांच घंटे कम लगेंगे। यह सुरंग मीन सी लेवल से 3,000 मीटर (10,000 फीट) की ऊँचाई पर हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में अति-आधुनिक विशिष्टताओं के साथ बनाई गई है। यह घोड़े की नाल के आकार का है। आठ मीटर के रोडवे के साथ सिंगल ट्यूब डबल लेन सुरंग है। इसमें 5.525 मीटर का ओवरहेड क्लीयरेंस है। इसके अलावा यह 10.5 मीटर चौड़ा है और इसमें 3.6 x 2.25 मीटर का फायर प्रूफ इमरजेंसी इग्नोर सुरंग है जिसे मुख्य सुरंग में ही बनाया गया है। अगर कोई आग की घटना होती है तो पहली बात यह है कि फंसे हुए लोगों को कैसे बचाया जाए। उसके लिए, प्रत्येक 500 मीटर पर एक प्रविष्टि है।
सुरंगों को स्पष्ट रूप से चिह्नित किया गया है और कोई आसानी से यह पता लगा सकता है कि कहां पर सुरंग है। अटल सुरंग को प्रति दिन 3,000 कारों की यातायात घनत्व और 80 किमी / घंटा की अधिकतम गति के साथ प्रति दिन 1,500 ट्रकों के लिए डिज़ाइन किया गया है। सुरंग में पर्याप्त सुरक्षा सुविधाएं प्रदान की गई है। जिसमें हर 150 मीटर पर टेलीफोन कनेक्शन, हर 60 मीटर पर अग्नि हाइड्रेंट तंत्र, प्रत्येक 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरों के साथ ऑटो घटना का पता लगाने, हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता की निगरानी, निकासी, प्रकाश व अन्य लोगों के बीच सुरंग से बाहर निकलने के संकेत और प्रसारण प्रणाली भी मौजूद है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दुनिया की सबसे लंबी अटल टनल का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 6 अक्टूबर, 2020।
- ↑ हिमाचल में बना दुनिया की सबसे लंबी अटल टनल, जानें इसकी खासियत (हिंदी) m.patrika.com। अभिगमन तिथि: 6 अक्टूबर, 2020।