अतस्
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अतस् (अव्य.) [इदम्-तसिल्]
- 1. इसकी अपेक्षा, इससे (बहुधा तुलनात्मक अर्थ वाला) किमु परमतो नर्तयसि माम्-भर्तृ. 3, 6.
- 2. इस या उस कारण से, फलतः, सो, इसलिए ('यत्' 'यस्मात्' और 'हि' का सहसंबंधी-अभिहित या अध्यहत) रघुवंश 2/43, 3/50; कु. 2/5.
- 3. यहाँ से, अब से या इस स्थान से; (-परम्,-ऊर्ध्वम्) इसके पश्चात्।
सम.-अर्थ (अतोऽर्थेम)-निमित्तं (अतोनिमित्तं) इस कारण, फलतः, इस कारण से;-एव (अतएव) (अव्य.) इस ही लिए-ऊर्ध्व अब से लेकर, इसके बाद;-ऊर्ध्वं (अतऊर्ध्वम्) इसके आगे, पीछे से।-परं (अतः परम) (क) इसके आगे, और फिर, (अपा. के साथ) इसके पश्चात् (ख) इसके परे, इससे आगे; भाग्ययत्तमतः परम्-श. 4/16[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 19 |
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