अतिथि:
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अतिथिः [अतति गच्छति, न तिष्ठति-अत्+इथिन्]
- मनु के अनुसार 'यात्री' का शब्दार्थ-एकरात्रं तु निवसन्नतिथिर्ब्राह्मणः स्मृतः। अनित्यं हि स्थितो यस्मात्तस्मादतिथिरुच्यते। मनुस्मृति 3/102, अभ्यागत (आलं. भी) अतिथिनेव निवेदितम्-श. 4, कुसुमलताप्रियातिथे-श. 6-प्रिय अथवा स्वागत के योग्य अभ्यागत।
- सम.-क्रिया,-पूजा,-सत्कारः,-सत्क्रिया,-सेवा अभ्यागतों का सत्कारयुक्त स्वागत, आतिथ्यक्रिया, अभ्यागतों की सेवा।
- देव (विशेषण) जिसके लिए अतिथि देव समान हो।-धर्मः आतिथ्य करने का अधिकार, अभ्यागतों का सत्कार। यज्ञ (पुल्लिंग) पंचमहायज्ञों में हो एक, नृयज्ञ।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 21 |
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