अत्यन्त

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

अत्यन्त (विशेषण) [अतिक्रान्तः अन्तम् सीमान्-प्रा. स.]

1. बेहद, अत्यधिक, अधिक, बहुत बड़ा, बहुत बलवान्; °वैरम्-बड़ी शत्रुता, इसी प्रकार °मैत्री
2. संपूर्ण, पूरा, नितांत
3. अनन्त, नित्य, चिरस्थायी; किं वा तबात्यन्तवियोगमोघे हतजीविते-रघुवंश 14/65; कस्यात्यन्तं सुखमपनतम्-मेघ. 109,


-तं (अव्य.)

1. अत्यधिक, बहुत अधिक
2. हमेशा के लिए आजीवन, जीवनभर


सम.-अभावः (अत्यन्ताभावः) किसी वस्तु का एकदम न होना, सत्ता की नितान्त शून्यता, नितान्त अनस्तित्व,

-गत (विशेषण) सदा के लिए गया हुआ, जो फिर कभी न आयेगा, कथ-मत्यन्तगता न मां दहेः-रघुवंश 8/56,

-गामिन् (विशेषण)

1. बहुत अधिक चलने वाला; बहुत तेज या शीघ्र चलने वाला
2. अत्यधिक, अधिक;-वासिन् (पुल्लिंग) जो विद्यार्थी की भांति लगातार अपने गुरु के साथ रहता है;-संयोगः 1. अति सामीप्य, अबाध नैरन्तर्यः कालाध्वनोरत्यन्तसंयोगे- ; 2. अवियोज्य सहअस्तित्व।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 24 |

संबंधित लेख