अदस्‌

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अदस् (सर्व.) पुल्लिंग-स्त्रीलिंग-असौ, नपुं.-अदः]

  • वह (किसी ऐसे व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करना जो अनपुस्थित हो या वक्ता के समीप न हो) इदमस्तु सन्निकृष्टं समीपतरवर्ति चैतदो रूपम्। अदसस्तु विप्रकृष्टं तदिति परोक्षे विजानीयात्। 'यह' 'यहां' 'सामने' अर्थ को भी प्रकट करता है। 'यत्' के सहसंबंधी 'तत्' के अर्थ में भी प्रायः प्रयुक्त होता है। परन्तु जब कभी यह 'संबंधवाचक सर्वनाम' के तुरन्त बाद प्रयुक्त होता है (योऽसौ, ये अमी आदि) तो इसका अर्थ होता है 'प्रसिद्ध' 'सुख्यात्' 'पूज्य'; दे. तद् भी।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 26-27 |

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