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अधिक (विशेषण) [अधि+क]
- 1. बहुत, ज्यादा, अतिरिक्त, बृहत्तर (समास में संख्याओं के साथ) घन, से अधिक-अष्टाधिकं शतम्-100+8=108
- 2.
- (क) परिमाण में बढ़कर, अधिक संख्या वाला, यथेष्ट, अधिक, बहुल-समास में या करण कारक के साथ।
- (ख) अतिमात्र, बढ़ा हुआ, से भरा हुआ, पूर्ण, कुशल- शिशुरधिकवयाः-वेणी. 3/30, बड़ा, अधिक आयु का।
- 3. बहुत, अधिकतर, बलवत्तर-ऊनं न सत्त्वेष्वधिको बबाधे-रघुवंश 2/14, बलवत्तर जन्तु ने अपने से दुर्बल जन्तु का शिकार नहीं किया।
- 4. प्रमुख, असाधारण, विशेष, विशिष्ट-इज्याध्ययनदानानि वैश्यस्य क्षत्रियस्य च, प्रतिग्रहोऽधिको विप्रे याजनाध्यापने तथा। या. 1/118, श. 7
- 5. व्यतिरिक्त, फालतू-अंग व्यतिरिक्त अंग वाला-कम् 1. अधिशेष, 2. व्यतिरिक्तता, फालतू होना 3. अतिशयोक्ति के समान अलंकार; (क्रि. वि.) 1. अधिकतर, अधिक मात्रा में शु. 4/1, समास में- इयमधिक-मनोज्ञा 2. अत्यन्त, बहुत अधि।
सम.-अंग (विशेषण) (स्त्रीलिंग-गी) व्यतिरिक्त अंग रखने वाला;-अर्थ (विशेषण) बढ़ा कर कहा हुआ, °वचनं-अतिशयप कथन, अतिशयोक्त वक्तव्य या वचन (चाहे प्रशंसा के हों या निंदा के),-ऋद्धि (विशेषण) प्रचुर पुष्कल-रघुवंश 19/5,-तिथिः (स्त्रीलिंग),-दिनम्,-दिवसः बढ़ा हुआ चांद्र दिवस, -वाक्योक्तिः (स्त्रीलिंग) बढ़ा चढ़ाकर कहना, अतिशयोक्ति अलंकार।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 30 |
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