अनिल माधब दवे
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पूरा नाम | अनिल माधब दवे |
जन्म | 6 जुलाई, 1956 |
जन्म भूमि | बड़नगर, उज्जैन, मध्यप्रदेश |
मृत्यु | 18 मई, 2017 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
अभिभावक | पिता- माधव दवे
माता- पुष्पा दवे |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | मंत्री पद |
कार्य काल | 5 जुलाई, 2016–18 मई, 2017 |
विद्यालय | गुजराती कॉलेज, इंदौर |
अन्य जानकारी | कॉलेज के बाद अनिल दवे ने भाजपा नेता आलोक डाबर के साथ मिलकर एक साॅफ्ट ड्रिंक्स कंपनी खोली थी। इसके बाद ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक बने। बीजेपी को मध्य प्रदेश की सत्ता में वापस लाने में अनिल दवे का भी अहम योगदान रहा। |
अद्यतन | 04:49, 20 मई 2017 (IST) |
अनिल माधब दवे (अंग्रेज़ी: Anil Madhav Dave; जन्म- 6 जुलाई, 1956, बड़नगर, मध्यप्रदेश; मृत्यु- 18 मई, 2017, नई दिल्ली) मध्य प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य तथा भारत सरकार में पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री थे।
परिचय
अनिल माधब दवे का जन्म 6 जुलाई, 1956 को बड़नगर उज्जैन, मध्य प्रदेश में हुआ था। इनके पिता माधव दवे और माता पुष्पा देवी थी। इन्होंने ग्रामीण विकास और प्रबंधन में विशेषज्ञता वाले गुजराती कॉलेज, इंदौर से वाणिज्य में अपनी मास्टर डिग्री अर्जित की।
राजनैतिक जीवन
अनिल दवे ने इस समय के दौरान अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, जेपी मूवमेंट में भाग लेते हुए महाविद्यालय के अध्यक्ष चुने गए। यह राष्ट्रीय कैडेट कोर के एयर विंग के कैडेट भी थे। अनिल दवे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए और नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए काम किया। ये संसद सदस्य थे, जो 2009 से राज्यसभा (भारतीय संसद के ऊपरी सदन) में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते थे। अनिल दवे जल संसाधन समिति और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के लिए परामर्शदात्री समिति सहित विभिन्न समितियों के सदस्य रहे। अनिल दवे मार्च, 2010 से जून 2010 तक ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय मंच के सदस्य भी थे। 5 जुलाई, 2016 को मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में अनिल दवे को पर्यावरण मंत्री, वन और जलवायु परिवर्तन के स्वतंत्र प्रभार के रूप में नियुक्त किया गया।
योगदान
कॉलेज के बाद अनिल दवे ने भाजपा नेता आलोक डाबर के साथ मिलकर एक साॅफ्ट ड्रिंक्स कंपनी खोली थी। इसके बाद ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक बने। बीजेपी को मध्य प्रदेश की सत्ता में वापस लाने में अनिल दवे का भी अहम योगदान रहा।
पाँच साल पहले ही लिखी थी वसीयत
अनिल माधव दवे ने 23 जुलाई, 2012 को सांसद के अपने लेटर पैड पर अपनी वसीयत लिखी थी। यह वसीयत इंदौर में रहने वाले उनके छाेटे भाई अभय दवे के घर पर रखी थी। वसीयत में उन्होंने मुख्य रूप से अंतिम संस्कार को लेकर चार बिंदु लिखे थे।
- सबसे पहले उन्होंने लिखा था- संभव हो तो मेरा दाह संस्कार बाद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाए।
- उत्तर क्रिया के रूप में केवल वैदिक कर्म ही हों। किसी भी प्रकार का दिखावा न हो।
- मेरी स्मृति में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा इत्यादि विषय कोई भी न चलाए।
- जो मेरी स्मृति मे कुछ करना चाहते हैं। वे कृपया वृक्षों को लगाने अथवा संरक्षित कर बड़ा करने का कार्य करेंगे तो मुझे आनंद होगा। वैसे ही नदी, जलाशयाें के संरक्षण में अपनी सामर्थ्य अनुसार अधिकतम प्रयत्न भी किए जा सकते हैं। ऐसा करते हुए भी मेरे नाम के प्रयोग से बचेंगे। इसके नीचे उन्होंने अपने साइन कर तारीख लिखी थी। इसके नीचे उन्होंने भाषा दोष के लिए क्षमा भी मांगी थी।
निधन
अनिल माधब दवे की मृत्यु 18 मई, 2017 को नई दिल्ली में हुआ था।
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