अनुराग:
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अनुरागः (पुल्लिंग) [अनु+रंज्+घञ्]
- 1. लालिमा
- 2. भक्ति, आसक्ति, निष्ठा, (विप. अपरागः) प्रेम, स्नेह (अधि. के साथ या समास में) कंटकितेन प्रथयति मय्यनुरागं कपोलेन-श. 3/15, रघु. 3/10, 'इंगित संकेत या प्रेम को प्रकट करने वाला एक बाह्य संकेत।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 47 |
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