अनुशय:

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अनुशयः (पुल्लिंग) [अनु+शी+अच्]

1. पश्चाताप, मनस्ताप, खेद, रंज, नन्वनुशयस्थानमेतत्-मा. 8,-इतो गतस्यानुशयो मा भूदिति-विक्रम. 4, शि. 2/14
2. अति बैर या क्रोध-शिशुपालोऽनुशयं परं गतः- शि. 16/2;-यस्मिन्नमुक्तानुशया सदैव जागर्ति भुजंगी-मा. 6/1
3. घृणा
4. गहरा संबंध, जैसा कि क्रमागत, (किसी पदार्थ से)गहन आसक्ति
5. (वेदान्त में) दुष्कर्मों का परिणाम या फल जो कि उनके साथ संयुक्त रहता है और पुनर्जन्म से अस्थायी मुक्ति का उपभोग कराके फिर जीव को शरीरों में प्रविष्ट करता है।
6. क्रय के मामलों में खेद जिसे पारिभाषिक रूप में 'उत्सादन' कहते हैं दे. क्रीतानुशय।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 49 |

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