अनूरु
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अनूरु | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अनूरु (बहुविकल्पी) |
हिन्दी | जिसकी जंघा न हो, बिना जाँघों वाला, जंघारहित, जिसकी जंघाएँ बेकार हों या बेकार कर दी गयी हों, अरुणोदय, उषा-काल, भोर, तड़का। |
-व्याकरण | विशेषण, पुल्लिंग |
-उदाहरण | सूर्य का सारथि अरुण अनूरु है। |
-विशेष | |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | अजंघ, आदित्य, केतु, काश्यप, महा सारथी, रवि सारथी, विनता सुत, सूर्य सारथी। |
संस्कृत | अन्+ऊरु |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
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अनूरु (विशेषण) [नास्ति अरु यस्य, न. ब.]
- जिसके जंघा न हो,-रुः (पुल्लिंग) सूर्य का सारथि अरुण (जिसका जंघा रहित होने का वर्णन पाया जाता है) उपा, दे. अरुण।[1]
सम.-सारथि (पुल्लिंग) सूर्य (अनूरु जिसका सारथि है);-गतं तिरश्चीनमनूरूसारथे:- शि. 1/2
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 51 |