अन्योन्य
अन्योन्य (विशेषण) [अन्य-कर्मव्यतिहारे द्वित्वम्, पूर्वपदे सुश्च]
- एक दूसरे को, परस्पर (सर्वनाम की भांति) प्रायः समस्त पदों में, कलहः पारस्परिक झगड़ा, इसी प्रकार °घातः,-न्यम् (अव्य.) आपस में।
सम.-अभावः (अन्योन्याभावः) (पुं.) पारस्परिक सत्ता का न होना, अभाव के दो प्रकारों में से एक, ('भेद' का समानार्थक), आश्रय (अन्योन्याश्रय) (वि.) आपस में एक दूसरे पर निर्भर, (-यः) (पुं.) आपस में या बदले की निर्भरता, कार्यकारण का (न्याय में) इतरेतर संबंध,-उक्तिः (स्त्री.) वार्तालाप,-भेदः (पुं.) पारस्परिक द्वेष या शत्रुता, -विभागः (पुं.) साझीदारों द्वारा रिक्थ का पारस्परिक विभाजन (बिना किसी और पक्ष के सम्मिलित हुए),-वृत्तिः (स्त्री.) किसी वस्तु का एक दूसरे पर पारस्परिक प्रभाव,-व्यतिकरः,-संश्रयः (पुं.) इतरेतर क्रिया या प्रभाव, कार्य कारण का पारस्परिक संबंध।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 59 |
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