अन्वित
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अन्वित (विशेषण) [अनु+इण्+क्त]
सम.-अर्थ (विशेषण) प्रकरण से ही जिसके अर्थ आसानी से समझ में आ सके,-अर्थवादः,-अभिधानवादः (पुल्लिंग) मीमांसक का एक सिद्धांत जिसके अनुसार वाक्य में शब्दों का अर्थ सामान्य या स्वतंत्र रूप से नहीं होता बल्कि किसी विशेष वाक्य में एक दूसरे से संबद्ध होकर शब्द का जो अर्थ निकलता है, वहीं होता है। दे. काव्य. 2, अभिहितान्वयवाद यही सिद्धान्त है।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 60 |
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