अपकर्ष:
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अपकर्षः (पुल्लिंग) [अप+कृष्+घञ्]
- 1.
- (क) नीचे की ओर खींचना, कम करना, घटाना, हानि, नाश , हास
- (ख) अनादर, अपमान (सभी अर्थों में विप. उत्कर्ष)
- 2. बाद में आने वाले शब्दों का पूर्व विचार (व्या. काव्य और मीमांसा आदि में)।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 61 |
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