अपकार:

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अपकारः (पुल्लिंग) [अप+कृ+घञ्]

1. हानि, चोट, आघात, कष्ट (विप. उपकार) उपकर्त्रारिणा संधिर्न मित्रेणापकारिणा, उपकारापकारौ हि लक्ष्यं लक्षणमेतयोः-शि. 2/37, अपकारोऽप्युपकारायैव संवृतः।
2. दूसरे का बुरा चिन्तन, दूसरे को चोट पहुँचाना।
3. दुष्टता, हिंसा, उत्पीड़न
4. गिरा हुआ, नीच कर्म


सम.-अर्थिन् (अपकारार्थिन) (विशेषण) द्वेषी, दुरात्मा,-गिर (स्त्रीलिंग-गीः)-शब्दः (पुल्लिंग) गालियाँ, भर्त्सना दायक तथा अपमानजनक शब्द।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 61 |

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