अपभ्रंश:
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अपभ्रंशः (पुल्लिंग) [अप+भ्रंश्+घञ्]
- 1. नीचे गिरना, पतन,-अंत्यारूढिर्भवति महतामप्यपभ्रंशनिष्ठा-श. 4
- 2. भ्रष्ट शब्द, भ्रष्टाचार (अतः) अशुद्ध शब्द चाहे वह व्याकरण के नियमों के विपरीत हो और चाहे वह ऐसे अर्थ में प्रयुक्त हुआ हो जो संस्कृत न हो।
- 3. भ्रष्ट भाषा, (काव्य में) गड़रियों आदि के द्वारा प्रयुक्त प्राकृत बोली का निम्नतम रूप, (शास्त्र में) संस्कृत से भिन्न कोई भी भाषा-आभीरादिगिरः काव्येष्वपभ्रंश इतिं स्मृता, शास्त्रेषु संस्कृतादन्यदपभ्रंशतयोदितम्-काव्यादर्श 1[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 64 |
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