अपराञ्च्
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अपराञ्च् (विशेषण) [अपर+अञ्च्+क्विप्] (°राङ्, °राची, °राक)
- दूर न किया गया, मुँह न फेरा हुआ, सम्मुख होने वाला, सामने होने वाला, (अव्य.) (-राक्) के सामने।
सम.-मुख (विशेषण) (स्त्रीलिंग-खी)
- 1. मुंह न मोड़ते हुए, मुंह सामने किए हुए
- 2. साहसपूर्ण पग रखते हुए[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 65 |
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