अपसर्प:-र्पक:
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अपसर्पः-र्पकः (पुल्लिंग) [अप+सृप्+ण्वुल्, अपसर्प+कन् उ स्वार्थे च]
- गप्तचर, जासूस, भेदिया,-शेपसर्पेर्जजा-गारं यथाकालं स्वपन्नपि रघु. 17/54; 14/31[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 68 |
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