अपाङ्‌ग:-गक

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अपाङ्गः-गक (पुल्लिंग) [अपाङ्ग तिर्यक् चलति नेत्रं यत्र अप+अङ्ग घञ्, कन् च]

1. आँख की बाहरी कोर या आँचर की कोण-चलापाङ्गां दृष्टि-श. 1/24
2. सम्प्रदाय सूचक माथे का तिलक
3. कामदेव, प्रेम का देवता


सम.-दर्शनम् (नपुं.)-दृष्टि: (स्त्रीलिंग)-विलोकितम् (नपुं.),-वीक्षणम् (नपुं.) तिरछी चितवन, कनखियों से देखना, पलक झपकना,-देशः (पुल्लिंग) आँख की कोर, नेत्र (विशेषण) सुन्दर कनखियों से युक्त आँखों वाला (यह प्रायः स्त्रियों का विशेषण है)।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 69 |

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