अभिमुख

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

अभिमुख (विशेषण) (स्त्रीलिंग-अभिमुखी-स्त्री)

1. जो किसी की ओर मुख किए हुए हो, की ओर, किसी की ओर मुड़ा हुआ, सामने,–अभिमुखे मयि संहत-मीक्षितम् श. 2/11
2. पास आने वाला, समीप निकट पहुँचने वाला,-विक्रम. 2/9
3. विचार करते हुए, प्रवृत्त, उद्यत (कुछ करने के लिए)-अस्ताभिमुखे सूर्य-मुद्रा. प्रसादाभिमुखो वेधाः प्रत्युवाच दिवौकसः कु. 1/16 5/60; उत्तर. 7/4, मा. 10/13
4. अनुकूल, अनुकूलतापूर्वक संपन्न
5. मुँह ऊपर को उठाए हुए-खं-खे (अव्य.) की ओर, दिशा में सामना करते हुए, के सामने, की उपस्थिति में, के निकट (कर्म. या संब. के साथ अथवा समास में)-आसीताभिमुखं गुरो:-मनु. 2/193, तिष्ठन्मुनेरभिमुखं स विकीर्णघाम्नः- कि. 2/59, नेपथ्याभिमुखमवलोक्य,-श. 1, कर्णं ददात्यभिमुखं मयि भाषमाणे- श. 1/31[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 81 |

संबंधित लेख