अमोघ
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अमोघ (विशेषण) [न. त.]
- 1. अचूक, ठीक निशाने पर लगने वाला-धनुष्यमोघं समधत्त बाणम्-कु. 3/66, रघु. 3/53, 12/97, कामिलक्ष्येष्वमोघैः-मेघ. 73
- 2. निर्भ्रान्त, अचूक (शब्द, वरदान आदि)-अमोघाः प्रतिगृह्णन्तावर्ध्यानुपदमाशिषः-रघु. 1/44
- 3. अव्यर्थ, सफल, उपजाऊ- यदमोघमपामन्तरुप्तं बीजमत्र त्वया-कु. 2/5, इसी प्रकार 'बलम्, शक्ति, वीर्य, क्रोध आदि, °घः 1. अचूक 2. विष्णु।
सम.-दण्डः (पुल्लिंग) दंड देने में अटल, शिव,-दर्शिन्,-दृष्टि (विशेषण) निर्भ्रान्त मन वाला, अचूक नजर वाला,-बल (विशेषण) अटूट शक्ति सम्पन्न,-वाच् (स्त्रीलिंग) वाणी जो व्यर्थ न जाय, वाणी जो अवश्य पूरी हो, (विशेषण) जिसके शब्द कभी व्यर्थ न हों-वांछित (विशेषण) जो कभी निराश न हो,-विक्रमः (पुल्लिंग) अटूट शक्तिशाली, शिव।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 93 |
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