अम्भस्‌

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अम्भस् (नपुं.) [आपू (अम्भू)+असुन्]

1. जल-कथमप्यम्भसामन्तरानिष्पत्तेः प्रतीक्षते-कु. 2/27, स्वेद्यमामज्वरं प्राज्ञः कोऽभसा परिषिञ्चति-शि. 2/45, अम्भसाकृतम्-जल द्वारा किया हुआ, पा. 6/3/3
2. आकाश
3. जन्मकुंडली में लग्न से चौथा स्थान


सम.-ज (अम्भोज) (विशेषण) जल में उत्पन्न (-जः)

1. चन्द्रमा
2. सारस पक्षी, (-जम्) कमल-बाले तब मुखोम्भोजे कथ-मिन्दीवरद्वयम्-शृंगार. 17, इसी प्रकार पाद°, नेत्र°, °खंडः-डम् कमलों का समूह-कुमुदव नमपश्रि श्रीमदम्भोजखण्डम्-शि. 1/64, °जन्मन् (अम्भोजन्मन) (पुल्लिंग),–जानिः,-योनिः कमलोत्पन्न देवता, ब्रह्मा की उपाधि,-जन्मन् (नपुं.) कमल,-दः (अम्भोदः)-धरः (अम्भोधर) बादल,-धिः,-निधि-राशिः जल का भंडार, समुद्र -संभूयाम्भोधिमभ्येति महानद्या नगापगा-शि. 2/100, यादवाम्भोनिधीन्रुन्धे वेलेव भवतः क्षमा-58, इसी प्रकार-अम्भसां निधिः, शिखाभिराश्लिष्ट इवाम्भसां निधिः-शि. 1/20, वल्लभः मूंगा,-रुह, (अम्भोरुह्) (नपुं.–टू)- रुहम् कमल-हेमाम्भोरु-हसस्यानां तद्वाप्यो धाम सांप्रतम्-कु. 2/44, (पुल्लिंग) सारस पक्षी,-सारम् मोती,-सूः धूआँ, अंधकार।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 95 |

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